MP Board Class 6 Hindi Sugam Bharti Chapter 19 Solutions – मीरा पदावली

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इस पाठ में हम मध्यकालीन भक्ति काव्य की प्रमुख कवयित्री मीराबाई के पदों का अध्ययन करेंगे। यह अध्याय हमें मीरा की भक्ति भावना और उनके काव्य की सुंदरता से परिचित कराएगा। हम मीरा के द्वारा रचित कृष्ण भक्ति के पदों को पढ़ेंगे, जिनमें उनका अपने आराध्य के प्रति प्रेम और समर्पण झलकता है। इन पदों में मीरा ने कृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन किया है और उनके प्रति अपनी अटूट श्रद्धा व्यक्त की है। साथ ही, हम मीरा के उस पद को भी समझेंगे जिसमें वे भगवान से भक्तों की पीड़ा हरने की प्रार्थना करती हैं।

MP Board class 6 Hindi Sugam Bharti chapter 19

MP Board Class 6 Hindi Sugam Bharti Chapter 19

SubjectHindi ( Sugam Bharti )
Class6th
Chapter19. मीरा पदावली
Authorसंकलित
BoardMP Board

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाइए.

उत्तर-

1. सांवरी(ग) सूरत
2. कंगना के(घ) झनकारे
3. मोहनी(क) मूरत
4. चरण(ख) कंवल

प्रश्न (ख). दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. बसो मोरे नैनन मेंनंदलाल (गोपाल/नंदलाल)
  2. उठो लालजी भोर भयो है। (भोर/शोर)
  3. द्रोपदी की लाज रखी तुम बढ़ायो चीर। (बढ़ायो/चलायो)
  4. छुद्र घंटिका कटि तट शोभित। (कटि/बैनी),

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए

(क) गोपी सुबह-सुबह क्या मथती है?

उत्तर- प्रातःकाल गोपी मटकी में दही मथती है, जिससे माखन और छाछ अलग हो जाते हैं।

(ख) मीरा हरि से क्या कहने के लिए कह रही है?

उत्तर- मीरा हरि से विनती कर रही हैं कि वे सभी भक्तों के दुःख और कष्ट दूर कर दें।

(ग) भक्त के कारण हरि ने कौन-सा रूप धारण किया था?

उत्तर- भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए हरि ने नरसिंह (नरहरि) का रूप धारण किया था।

(घ) ग्वाल-बाल किन शब्द का उच्चारण कर रहे हैं?

उत्तर- श्री कृष्ण के साथ खेलने वाले ग्वाल-बाल आनंदपूर्वक ‘जय-जय’ का उच्चारण कर रहे हैं।

(ङ) मीरा नंदलाल को कहाँ बसाना चाहती है?

उत्तर- मीरा अपने आराध्य नंदलाल (श्री कृष्ण) को अपनी आँखों में बसाना चाहती हैं, जिससे वे हमेशा उनका दर्शन कर सकें।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए

(क) मीरा ने वंशीवाले को जगाने के लिए भोर के किन-किन क्रियाकलापों का वर्णन किया है?

उत्तर- मीरा ने प्रातःकाल के समय की जीवंत झलक प्रस्तुत की है। गाँव में सभी घरों के द्वार खुल चुके हैं और गोपियाँ दही मथ रही हैं, जिससे उनके कंगनों की मधुर आवाज़ गूँज रही है। द्वार पर भक्तजन खड़े हैं और ग्वाल-बाल आनंद से जय-जयकार कर रहे हैं।

(ख) मीरा के पद के आधार पर श्रीकृष्ण के रूप सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

उत्तर- श्रीकृष्ण की विशाल आँखें और सुंदर सांवला रंग सबका मन मोह लेता है। उनके होठों पर सजी मुरली से अमृत की धारा बहती है। उनके गले में वैजयंती माला शोभायमान है और कमर में बँधी घुँघरू मधुर ध्वनि करती है।

(ग) मीरा ने प्रभु से ‘संतन सुखदाई’ क्यों कहा है?

उत्तर- मीरा ने प्रभु को ‘संतन सुखदाई’ कहा क्योंकि वे अपने भक्तों के दुःख हरने वाले हैं। वे हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और उन्हें सुख प्रदान करते हैं।

(घ) द्रोपदी की लाज कृष्ण भगवान ने किस तरह बचाई थी?

उत्तर- जब दुःशासन द्रौपदी के वस्त्र खींच रहा था, तब कृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से उनके वस्त्रों को अनंत कर दिया। दुःशासन वस्त्र खींचते-खींचते थक गया, लेकिन वस्त्र समाप्त नहीं हुए और इस तरह कृष्ण ने द्रौपदी का सम्मान बचाया।

(ङ) कौन-कौन से उदाहरण देकर मीरा मनुष्यों की पीर दूर करने की प्रार्थना कर रही है?

उत्तर- मीरा ने द्रौपदी की लाज बचाने और प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार लेने के उदाहरण दिए हैं। उन्होंने हिरण्यकशिपु के वध का भी उल्लेख किया है, जिससे यह प्रकट होता है कि प्रभु भक्तों के कष्ट अवश्य दूर करते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए

कंगन, मुरली, नूपुर, सुधारस, प्रभु, क्षुद्र, वैजन्तीमाला, हिरण्यकश्यपु।

उत्तर- विद्यार्थी स्वयं करे।

प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए-

सूखदाई, कंगना, गिरीधर, मुरत, वीसाल, दोपदी।

उत्तर- सुखदाई, कंगना, गिरिधर, मूरत, विशाल, द्रौपदी

प्रश्न 6. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची लिखिएरजनी, भोर, सुर, नर, नैन, कंवल

उत्तर- पर्यायवाची-निशा, रैन, उषा, प्रातः, देव, देवता, मनुष्य, मानव, नेत्र, लोचन, सरोज, जलज

प्रश्न 7. निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखिए-

मोरे, ठाढ़े, सबद, उचारे, छुद्र, सोभित

उत्तर- मानक शब्द-मेरे, खड़े, शब्द, बोले, अच्छा, शोभायमान।

प्रश्न 8. निम्नलिखित शब्दों के तत्सम रूप लिखिएदही, दूध, नैन, कान, ओठ

उत्तर- तत्सम-दधि, दुग्ध, नेत्र, कण, ओष्ठ। निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए “आत्मा व परमात्मा ज्योति स्वरूप है। यह स्मरण रखने के लिए शुभ कार्यों में सर्वप्रथम दीपक प्रज्जवलित किया जाता है। इसकी लौ कर एकटक ध्यान करने से एकाग्रता व स्मरण शक्ति बढ़ती है। और यह प्रेरणा मिलती है कि ऊपर की ओर उठती हुई लौ के समान हम भी उच्च कर्म करें और चारों ओर ऊर्जा और ज्ञान का प्रकाश बिखेरें। दीपक स्वयं जलकर त्याग और बलिदान की प्रेरणा देता है।”।

प्रश्न 9. उपर्युक्त गद्यांश में से संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया एवं विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखें-

उत्तर-

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