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इस पाठ में हम भारतीय दर्शन और संस्कृति के महान विद्वान आदि शंकराचार्य के जीवन और कार्यों के बारे में जानेंगे। यह अध्याय हमें शंकराचार्य के मध्यप्रदेश से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों से परिचित कराएगा। हम उनके जन्म, बचपन की प्रतिभा, और संन्यास लेने के निर्णय के बारे में पढ़ेंगे। साथ ही, उनके गुरु गोविन्दपाद से मिलने और ओंकारेश्वर में वेदांत का अध्ययन करने की कहानी भी जानेंगे। इस पाठ में शंकराचार्य द्वारा नर्मदा नदी पर किए गए चमत्कार और उनके द्वारा स्थापित चार प्रमुख मठों के बारे में भी जानकारी मिलेगी।

MP Board Class 6 Hindi Sugam Bharti Chapter 18
Contents
| Subject | Hindi ( Sugam Bharti ) |
| Class | 6th |
| Chapter | 18. शंकराचार्य मध्यप्रदेश में |
| Author | संकलित |
| Board | MP Board |
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. (क) सही जोड़ी बनाइए
| 1. उज्जयिनी | (घ) कापालिकों का केन्द्र |
| 2. काशी | (क) कुमारिल भट्ट |
| 3. अमरकंटक | (ख) नर्मदा का उद्गम |
| 4. कालड़ी | (ग) शंकराचार्य का जन्मस्थल |
प्रश्न (ख). दिए गए शब्दों में से उपयुक्त शब्द चुन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
- शंकराचार्य की शिक्षा-दीक्षा ओंकारेश्वर में हुई थी। (महिष्मती/ओंकारेश्वर)
- गुरु की खोज में वह दक्षिण से उत्तर की ओर चल पड़े। (उत्तर से दक्षिण की ओर/दक्षिण से उत्तर की ओर)
- उन्होंने शंकर को मंडन मिश्र से शस्त्रार्थ करने की सलाह दी। (मंडन मिश्र/कापालिक)
- मध्यप्रदेश को यह गौरव प्राप्त है कि उसके पुत्र को दक्षिण में भारतीय एकता का विस्तार करने का अवसर प्राप्त हुआ। (दक्षिण में/उत्तर में)
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-एक वाक्य में दीजिए
(क) सान्दीपनी आश्रम क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तर – सान्दीपनी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण और उनके मित्र सुदामा ने गुरु सान्दीपनी से विद्या प्राप्त की थी। यह आश्रम प्राचीन भारत की गुरुकुल शिक्षा परंपरा का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
(ख) नर्मदा का उद्गम स्थल कहाँ है?
उत्तर – नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अमरकंटक से होता है। यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
(ग) कुमारिल भट्ट की प्रसिद्धि का क्या कारण था?
उत्तर – कुमारिल भट्ट मीमांसा दर्शन के महान विद्वान थे। उन्होंने वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
(घ) शंकराचार्य का मंडन मिश्र से शास्त्रार्थ कहाँ हुआ था?
उत्तर – शंकराचार्य और मंडन मिश्र का प्रसिद्ध शास्त्रार्थ प्राचीन माहिष्मती नगर (वर्तमान में मध्य प्रदेश का महेश्वर) में हुआ था। यह वाद-विवाद भारतीय दर्शन के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
(ङ) कापालिकों का मुख्य केंद्र कहाँ था?
उत्तर – कापालिकों का मुख्य केंद्र उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन, मध्य प्रदेश) में था। यह नगर प्राचीन काल से ही धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-से-पाँच वाक्यों में दीजिए
(क) शंकराचार्य ने किन चार पीठों की स्थापना की?
उत्तर – शंकराचार्य ने भारत की चारों दिशाओं में महत्वपूर्ण मठों की स्थापना की – उत्तर में बद्रीनाथ धाम, दक्षिण में रामेश्वरम्, पूर्व में जगन्नाथपुरी और पश्चिम में द्वारिका। इन चार पीठों की स्थापना का उद्देश्य वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार और भारतीय संस्कृति की रक्षा करना था। इन पीठों ने भारत को सांस्कृतिक रूप से एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
(ख) ‘शंकर बाल्यकाल से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।’ इस संबंध में शंकर की तीन विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – शंकर ने मात्र एक वर्ष की आयु में ही बोलना शुरू कर दिया था। उनकी स्मरण शक्ति इतनी तीव्र थी कि तीन वर्ष की उम्र में एक बार सुनी बात को वे ज्यों का त्यों दोहरा सकते थे। सबसे आश्चर्यजनक यह था कि पाँच वर्ष की आयु में गुरुकुल जाकर मात्र दो वर्षों में ही उन्होंने सभी शास्त्रों में महारत हासिल कर ली।
(ग) ‘नर्मदाष्टक’ की रचना शंकराचार्य ने कब की? उस घटना का उल्लेख करें।
उत्तर – जब शंकराचार्य ओंकारेश्वर में थे, तब नर्मदा में भयंकर बाढ़ आई जिससे कई गाँव तबाह हो गए। लोगों की पीड़ा को देखकर उन्होंने ‘नर्मदाष्टक’ की रचना की। अपनी योग शक्ति से उन्होंने बाढ़ के पानी को कमंडल में भर लिया, जिससे लोगों की रक्षा हुई।
(घ) ‘गुरु गोविंदपाद ने प्रसन्न होकर शंकर को क्या आदेश दिया?
उत्तर – गुरु गोविंदपाद ने शंकर को भारत भ्रमण कर वैदिक धर्म का पुनरुत्थान करने का आदेश दिया। उन्होंने शंकर को काशी जाकर विद्वानों से शास्त्रार्थ करने और लोगों को सही मार्ग दिखाने की आज्ञा दी। यह आदेश भारतीय धर्म और संस्कृति के पुनर्जागरण का आधार बना।
(ङ) शंकर ने माता से सन्यास की आज्ञा किस प्रकार प्राप्त की?
उत्तर – एक दिन नदी में स्नान करते समय एक मगरमच्छ ने शंकर का पैर पकड़ लिया। संकट में फँसे शंकर ने माता से कहा कि यदि वे सन्यास लेने की अनुमति दें तो शायद उनका जीवन बच जाए। पुत्र के प्राण बचाने के लिए माता आर्याम्बा ने विवश होकर सन्यास की अनुमति दे दी। यह घटना शंकर के जीवन की महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
भाषा की बात
प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध उच्चारण कीजिए
प्रस्थानत्रय, त्राहि-त्राहि, प्रकांड, ओंकारेश्वर, केन्द्र, दृश्य।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करे।
प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखिए
सिरोधार्य, पुर्नजागरन, भारतिय, अचल
उत्तर – शिरोधार्य, पुनर्जागरण, भारतीय, अंचल
प्रश्न 6. उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्दों की संधि कीजिए
शंकर+आचार्य, देह+अन्त, शास्त्र+अर्थ, सर्व+अधिक, दिक्+विजय, पुनः + जागरण, महा+ईश्वर
उत्तर –
- शंकर + आचार्य = शंकराचार्य
- देह + अन्त = देहान्त
- शास्त्र + अर्थ = शास्त्रार्थ
- सर्व + अधिक = सर्वाधिक
- दिक् + विजय = दिगविजय
- पुनः + जागरण = पुनर्जागरण
- महा + ईश्वर = महेश्वर
प्रश्न 7. उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए .

प्रश्न 8. निम्नलिखित गयांशों को पढ़िए तथा संयुक्त क्रियाओं को छाँटकर लिखिए
“अपनी माता से आज्ञा लेकर बालक शंकर ने घर छोड़ दिया और गुरु की तलाश में निकल पड़े। वह उत्तर भारत की ओर चल पड़े। यात्रा में उन्हें अनेक आश्रम मिले। वातापि आश्रम से निकल कर उन्होंने गोदावरी पार की और दंडकारण्य में प्रवेश किया।”
उत्तर – छोड़ दिया, निकल पड़े, चल पड़े, पार की, प्रवेश किया।