MP Board class 10 Science chapter 3 solutions are available here. It covers all question answers for Vigyan chapter 3 – “धातु एवं अधातु” in hindi medium.
धातु और अधातु तत्वों का अध्ययन रसायन विज्ञान की एक आधारभूत शाखा है। हमारे चारों ओर पाई जाने वाली वस्तुएं जैसे लोहे की कील, तांबे के तार, एल्युमीनियम की रसोई सामग्री धातुओं के उदाहरण हैं, जबकि कार्बन, सल्फर और क्लोरीन अधातुओं के उदाहरण हैं। इस अध्याय में आप इन तत्वों की विशेषताओं, उनकी भौतिक एवं रासायनिक प्रकृति, धातुओं की अभिक्रियाशीलता श्रेणी, और उनके दैनिक जीवन में उपयोग के बारे में सीखेंगे। साथ ही यह अध्याय आपको संक्षारण जैसी समस्याओं और उनसे बचाव के तरीकों से भी परिचित कराएगा।

MP Board Class 10 Science Chapter 3 Solutions
| Subject | Science (विज्ञान) |
| Class | 6th |
| Chapter | 3. धातु एवं अधातु |
| Board | MP Board |
अध्ययन के बीच वाले प्रश्न
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-45)
प्रश्न 1. ऐसी धातु का उदाहरण दीजिए जो
(i) कमरे के ताप पर द्रव होती है।
(ii) चाकू से आसानी से काटा जा सकता है।
(iii) ऊष्मा की सबसे अच्छी चालक होती है।
(iv) ऊष्मा की कुचालक होती है।
उत्तर-
(i) मर्करी (पारा)
(ii) सोडियम, पोटैशियम
(iii) चाँदी (सिल्वर), कॉपर
(iv) मर्करी और सीसा
प्रश्न 2. आघातवर्ध्य तथा तन्य का अर्थ बताइए।
उत्तर-
आघातवर्ध्य: यह धातुओं का वह भौतिक गुण है जिसके कारण उन्हें हथौड़े से पीटकर पतली चादरों में बदला जा सकता है, जैसे एल्युमीनियम की फॉइल। सोना सबसे अधिक आघातवर्ध्य धातु है, जिसे 0.0001 मिमी की पतली चादर में बदला जा सकता है।
तन्य: तन्यता धातुओं का वह गुण है जिसके कारण उन्हें खींचकर बिना टूटे तार के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है। तांबा, लोहा और सोना अत्यधिक तन्य धातुएं हैं। 1 ग्राम सोने से 2 किमी लंबा तार बनाया जा सकता है, जो इसकी उच्च तन्यता को दर्शाता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-51)
प्रश्न 1. सोडियम को किरोसिन में डुबो कर क्यों रखा जाता है?
उत्तर- सोडियम एक अत्यंत क्रियाशील धातु है जो वायु की ऑक्सीजन और नमी से तुरंत अभिक्रिया कर जाती है। यदि सोडियम को खुली हवा में रखा जाए तो यह ऑक्साइड बना लेती है, और पानी के संपर्क में आने पर विस्फोटक अभिक्रिया करती है। किरोसिन एक जलविरोधी द्रव है जो सोडियम को वायु और नमी से अलग रखता है, इसलिए सोडियम को किरोसिन में डुबोकर रखा जाता है।
प्रश्न 2. इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए:-
(i) भाप के साथ आयरन
(ii) जल के साथ कैल्शियम तथा पोटेशियम
उत्तर-
(i) भाप के साथ आयरन:
3Fe + 4H₂O → Fe₃O₄ + 4H₂
लोहा + भाप → त्रि-लौह टेट्राऑक्साइड + हाइड्रोजन
(ii) जल के साथ कैल्शियम तथा पोटेशियम:
Ca + 2H₂O → Ca(OH)₂ + H₂
कैल्शियम + जल → कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड + हाइड्रोजन
2K + 2H₂O → 2KOH + H₂
पोटेशियम + जल → पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड + हाइड्रोजन
प्रश्न 3. चार धातुओं A, B, C एवं D के नमूनों को लेकर एक-एक करके निम्न विलयन में डाला गया | इससे प्राप्त परिणाम को निम्न प्रकार से सारणीबद्ध किया गया है:-
| धातु | आयरन (II) सल्फेट | कॉपर (II) सल्फेट | जिंक सल्फेट | सिल्वर नाइट्रेट |
|---|---|---|---|---|
| A | कोई अभिक्रिया नहीं | विस्थापन | ||
| B | विस्थापन | कोई अभिक्रिया नहीं | अभिक्रिया | |
| C | कोई अभिक्रिया नहीं | कोई अभिक्रिया नहीं | कोई अभिक्रिया नहीं | विस्थापन |
| D | कोई अभिक्रिया नहीं | कोई अभिक्रिया नहीं | कोई अभिक्रिया नहीं | कोई अभिक्रिया नहीं |
इस सारणी का उपयोग कर धातु A, B, C एवं D के संबंध में निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए:–
(i) सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु कौन सी है ?
(ii) धातु B को कॉपर (II) सल्फ़ेट के विलयन में डाला जाए तो क्या होगा ?
(iii) धातु A, B, C एवं D को अभिक्रियाशीलता के घटते हुए क्रम में व्यवस्थित करें।
उत्तर-
(i) B सबसे अधिक अभिक्रियाशील धातु है ।
(ii) धातु B को कॉपर (II) सल्फ़ेट के विलयन में डाला जाए तो यह कॉपर को विस्थापित कर देगा।
(iii) B> A>C>D
प्रश्न 4. अभिक्रियाशील धातु को तन हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में डाला जाता है तो कौन सी गैस निकलती है? H₂SO₄ की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर- जब किसी अभिक्रियाशील धातु (जैसे Zn, Fe, या Mg) को तनु HCl में डालते हैं, तो हाइड्रोजन गैस निकलती है। यह एक विस्थापन अभिक्रिया है जिसमें धातु, अम्ल से H⁺ आयन को विस्थापित करती है। उदाहरण के लिए:
Fe + 2HCl → FeCl₂ + H₂↑ (बुलबुले के रूप में)
Fe + H₂SO₄ → FeSO₄ + H₂↑
प्रश्न 5. ज़िंक को आयरन (II) सल्फेट के विलयन में डालने से क्या होता है? इसकी रासायनिक अभिक्रिया लिखिए ।
उत्तर- जिंक, आयरन से अधिक क्रियाशील होने के कारण आयरन (II) सल्फेट विलयन से Fe को विस्थापित कर देता है। इस विस्थापन अभिक्रिया में जिंक सल्फेट बनता है और भूरे रंग का आयरन नीचे बैठ जाता है (अवक्षेपित हो जाता है)। रासायनिक अभिक्रिया:
Zn + FeSO₄ → ZnSO₄ + Fe↓
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-54)
प्रश्न 1.
(i) सोडियम, ऑक्सीजन एवं मैग्नीशियम के लिए इलेक्ट्रॉन – बिंदु संरचना लिखिए।
(ii) इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण द्वारा Na₂O एवं MgO का निर्माण दर्शाइए।
(iii) इन यौगिकों में कौन से आयन उपस्थित हैं?
उत्तर- (i) इलेक्ट्रॉन-बिंदु संरचना:-

(ii) इलेक्ट्रॉन स्थानांतरण द्वारा यौगिकों का निर्माण:
Na₂O: 2 ·Na· + :Ö: → 2 Na⁺ + O²⁻
MgO: ·Mg· + :Ö: → Mg²⁺ + O²⁻
(iii) इन यौगिकों में उपस्थित आयन:
Na₂O में: Na⁺ (सोडियम आयन) और O²⁻ (ऑक्साइड आयन)
MgO में: Mg²⁺ (मैग्नीशियम आयन) और O²⁻ (ऑक्साइड आयन)
प्रश्न 2. आयनिक यौगिकों का गलनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर- आयनिक यौगिकों में धनायन और ऋणायन के बीच प्रबल विद्युत आकर्षण बल पाया जाता है। यह आकर्षण बल त्रि-आयामी जालक संरचना बनाता है जिसे तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसलिए इन यौगिकों को द्रवित करने के लिए अधिक ताप की आवश्यकता होती है, जैसे सामान्य नमक (NaCl) का गलनांक 801°C होता है। यही कारण है कि आयनिक यौगिकों का गलनांक उच्च होता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-59)
प्रश्न 1. निम्न पदों की परिभाषा दीजिए:-
(i) खनिज
(ii) अयस्क:
(iii) गैंग:
उत्तर-
(i) खनिज: प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ठोस, अकार्बनिक पदार्थ हैं जिनका निश्चित रासायनिक संघटन और क्रिस्टलीय संरचना होती है। उदाहरण – हैमेटाइट (Fe₂O₃), बॉक्साइट (Al₂O₃.2H₂O)।
(ii) अयस्क: वे खनिज जिनसे किसी धातु को आर्थिक लाभ के साथ निकाला जा सकता है, अयस्क कहलाते हैं। सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं। उदाहरण – आयरन के लिए हैमेटाइट, एल्युमीनियम के लिए बॉक्साइट।
(iii) गैंग: अयस्क में उपस्थित अशुद्धियाँ जैसे मिट्टी, रेत या चट्टानें जो धातु निष्कर्षण से पहले अलग करनी पड़ती हैं, गैंग कहलाती हैं। इन्हें सांद्रण की विधि से अलग किया जाता है।
प्रश्न 2. दो धातुओं के नाम बताइए जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाती हैं।
उत्तर- सोना (Au) और चाँदी (Ag) प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाने वाली प्रमुख धातुएँ हैं क्योंकि ये कम क्रियाशील धातुएँ हैं। सोना नदियों की रेत में कणों के रूप में तथा चाँदी चट्टानों में धातु के रूप में पाई जाती है। प्लैटिनम (Pt) और ताँबा (Cu) भी कभी-कभी मुक्त अवस्था में मिलते हैं, लेकिन अधिकतर ये यौगिकों के रूप में पाए जाते हैं।
प्रश्न 3. धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करने के लिए किस रासायनिक प्रक्रम का उपयोग किया जाता है?
उत्तर- धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करने के लिए अपचयन प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है, जिसमें ऑक्साइड से ऑक्सीजन अलग की जाती है। अपचयन के मुख्य तरीके हैं:-
- कार्बन के साथ गर्म करना (कार्बोथर्मिक अपचयन), जैसे: ZnO + C → Zn + CO
- हाइड्रोजन से गर्म करना ,जैसे: CuO + H₂ → Cu + H₂O
- अधिक क्रियाशील धातु से विस्थापन, जैसे: Fe₂O₃ + 2Al → 2Fe + Al₂O₃ विद्युत अपघटन
- अत्यधिक अक्रियाशील धातुओं के लिए प्रयोग, उदाहरण: सोडियम, एल्युमीनियम आदि
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-59)
प्रश्न 1. जिंक, मैग्नीशियम एवं कॉपर के धात्विक ऑक्साइडो को निम्न धातु के साथ गर्म किया गया, किस स्थिति में विस्थापन अभिक्रिया घटित होगी?
| धातु | जिंक | मैग्नीशियम | कॉपर |
|---|---|---|---|
| जिंक ऑक्साइड | कोई अभिक्रिया नहीं | विस्थापन अभिक्रिया | कोई अभिक्रिया नहीं |
| मैग्नीशियम ऑक्साइड | कोई अभिक्रिया नहीं | कोई अभिक्रिया नहीं | कोई अभिक्रिया नहीं |
| कॉपर ऑक्साइड | विस्थापन अभिक्रिया | विस्थापन अभिक्रिया | कोई अभिक्रिया नहीं |
प्रश्न 2. कौन सी धातु आसानी से सक्षारित नहीं होती है ?
उत्तर- सोना, चाँदी, एलुमिनियम
प्रश्न 3. मिश्रा क्या होते हैं?
उत्तर- मिश्रधातु दो या अधिक तत्वों का समांगी मिश्रण है, जिसमें कम से कम एक तत्व धातु होता है। यह मुख्य धातु में अन्य धातुओं या अधातुओं को निश्चित अनुपात में मिलाकर बनाया जाता है। इसका प्रमुख उद्देश्य मूल धातु के गुणों को बेहतर बनाना होता है जैसे कठोरता, तन्यता, या संक्षारण प्रतिरोध। कुछ महत्वपूर्ण मिश्रधातुएं हैं:-
- पीतल (Cu + Zn) – बर्तन बनाने में
- स्टील (Fe + C) – निर्माण कार्य में
- स्टेनलेस स्टील (Fe + Cr + Ni) – बर्तन एवं सर्जिकल उपकरण
- कांस्य (Cu + Sn) – मूर्तियां बनाने में
अभ्यास
प्रश्न 1. निम्न में कौनसा युगल विस्थापन अभिक्रिया प्रदर्शित करता है :
(a) NaCl विलयन एवं कॉपर धातु
(b) MgCl2 विलयन एवं एल्यूमीनियम धातु
(c) FeSO4, विलयन एवं सिल्वर धातु
(d) AgNO3, विलयन एवं कॉपर धातु
उत्तर- (d) AgNO3, विलयन एवं कॉपर धातु
प्रश्न 2. लोहे के फ्राइंग पैन को जंग से बचाने के लिए निम्न में से कौन सी विधि उपयुक्त है :–
(a) ग्रीज़ लगाकर
(b) पेंट लगाकर
(c) जिंक की परत चढ़ाकर
(d) ऊपर के सभी
उत्तर- (c) जिंक की परत चढ़ाकर
प्रश्न 3. कोई धातु ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर उच्च गलनांक वाला यौगिक निर्मित करती है। यह यौगिक जल में विलेय है। यह तत्व क्या हो सकता है?
(a) कैल्शियम
(b) कार्बन
(c) सिलिकन
(d) लोहा
उत्तर- (a) कैल्शियम
प्रश्न 4. खाद्य पदार्थ के डिब्बों पर जिंक के बजाय टिन का लेप होता है क्योंकि
(a) टिन की अपेक्षा जिंक महँगा है।
(b) टिन की अपेक्षा जिंक का गलनांक अधिक है।
(c) टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील है।
(d) टिन की अपेक्षा जिंक कम अभिक्रियाशील है।
उत्तर- (c) टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील है।
प्रश्न 5. आपको एक हथौड़ा, बैटरी, बल्ब, तार एवं स्विच दिया गया है :–
(a) इनका उपयोग कर धातुओं एवं अधातुओं के नमूनों के बीच आप विभेद कैसे कर सकते हैं?
(b) धातुओं एवं अधातुओं में विभेदन के लिए इन परीक्षणों की उपयोगिताओं का आकलन कीजिए।
उत्तर- (a) धातुओं और अधातुओं में विभेद:-
हथौड़े से परीक्षण (आघातवर्ध्यता):-
- हथौड़े से परीक्षण (आघातवर्ध्यता): – धातुएँ – पतली चादर बनाती हैं (जैसे Cu, Al), अधातुएँ – टुकड़ों में टूट जाती हैं (जैसे S, P)
- विद्युत चालकता परीक्षण: – बैटरी, बल्ब, तार और स्विच का परिपथ बनाएं, धातुएँ – बल्ब जलता है (सुचालक), अधातुएँ – बल्ब नहीं जलता (कुचालक)
(b) परीक्षणों की उपयोगिता:-
- सरल और तीव्र विधि
- कम खर्चीली
- प्रयोगशाला में आसानी से की जा सकती है
- कुछ अर्धधातुओं (जैसे Si, Ge) के लिए यह विधि उपयुक्त नहीं है
प्रश्न 6. उभयधर्मी ऑक्साइड क्या होते हैं? दो उभयधर्मी ऑक्साइडों का उदाहरण दीजिए।
उत्तर- उभयधर्मी ऑक्साइड वे धातु ऑक्साइड हैं जो अम्लीय और क्षारीय दोनों गुण प्रदर्शित करते हैं। ये अम्ल के साथ क्रिया करके लवण और जल बनाते हैं तथा क्षार के साथ क्रिया करके जटिल लवण बनाते हैं।
- एल्युमीनियम ऑक्साइड (Al₂O₃) एक प्रमुख उभयधर्मी ऑक्साइड है जो HCl (अम्ल) के साथ AlCl₃ तथा NaOH (क्षार) के साथ Na[Al(OH)₄] बनाता है। जिंक ऑक्साइड (ZnO)
- दूसरा महत्वपूर्ण उदाहरण है जो HCl से क्रिया कर ZnCl₂ तथा NaOH से क्रिया कर Na₂[Zn(OH)₄] बनाता है। उभयधर्मी ऑक्साइड की यह विशेषता इन्हें अम्लीय और क्षारीय ऑक्साइड से अलग करती है।
प्रश्न 7. दो धातुओं के नाम बताइए जो तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देंगे तथा दो धातुएँ जो ऐसा नहीं कर सकती हैं ।
उत्तर- धातु सक्रियता श्रेणी में हाइड्रोजन से ऊपर स्थित धातुएँ तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर सकती हैं। मैग्नीशियम (Mg) और जिंक (Zn) तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित करते हैं क्योंकि ये हाइड्रोजन से अधिक क्रियाशील हैं, जैसे Mg + 2HCl → MgCl₂ + H₂। कॉपर (Cu) और सिल्वर (Ag) हाइड्रोजन से कम क्रियाशील होने के कारण तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित नहीं कर सकते। इस प्रकार, धातु की सक्रियता उसकी हाइड्रोजन विस्थापन क्षमता को निर्धारित करती है।
प्रश्न 8. किसी धातु M के विदयुत् अपघटनी परिष्करण में आप एनोड, कैथोड एवं विदयुत् अपघट्य किसे बनाएँगे?
उत्तर- धातु M के विद्युत् अपघटनी परिष्करण में एनोड अशुद्ध धातु M की छड़ का बना होता है, जो विद्युत धारा के प्रवाह पर ऑक्सीकृत होकर धातु आयन बनाता है। कैथोड शुद्ध धातु M की एक पतली परत होती है, जहाँ धातु के आयन अपचयित होकर शुद्ध धातु के रूप में जमा हो जाते हैं। विद्युत अपघट्य के रूप में धातु M के लवण (जैसे CuSO₄) का जलीय विलयन लिया जाता है। इस प्रक्रिया में अशुद्धियाँ या तो एनोड पर एनोड मड के रूप में जमा हो जाती हैं या विलयन में रह जाती हैं। यह प्रक्रिया धातु के शुद्धिकरण का एक प्रभावी तरीका है।
प्रश्न 9. प्रत्यूष ने सल्फर चूर्ण को स्पैचुला में लेकर उसे गर्म किया। चित्र के अनुसार एक परखनली को उलटा करके उसने उत्सर्जित गैस को एकत्र किया।
- (a) गैस की क्रिया क्या होगी
- (i) सूखे लिटमस पत्र पर?
- (ii) आई लिटमस पत्र पर?
- (b) ऊपर की अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर-
(a)
(i) सूखे लिटम्स पत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
(ii)आई लिटमस पत्र पर प्रभाव पड़ता है। नीले रंग के आर्द्र लिटमस पत्र का रंग गहरा लाल होता है।
(b) S + O2 → SO2
SO2+ H2O → H2SO3
प्रश्न 10. लोहे को जंग से बचाने के लिए दो तरीके बताइए।
उत्तर- लोहे को जंग से बचाने के लिए इसकी सतह को वायु और नमी के संपर्क से बचाना आवश्यक है। इसके लिए लोहे पर पेंट, ग्रीस या तेल की परत चढ़ाई जा सकती है। गैल्वनीकरण द्वारा लोहे पर जिंक की परत चढ़ाना एक प्रभावी विधि है, जहाँ जिंक त्यागी एनोड की तरह कार्य करता है। लोहे में क्रोमियम और निकल मिलाकर स्टेनलेस स्टील बनाई जाती है जो जंग-रोधी होती है। स्टेनलेस स्टील की सतह पर क्रोमियम ऑक्साइड की एक सुरक्षात्मक परत बन जाती है।
प्रश्न 11. ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर अधातुएँ ‘ऑक्साइड बनाती हैं?
उत्तर- अधातुएँ ऑक्सीजन से क्रिया करके अम्लीय ऑक्साइड बनाती हैं। ये अम्लीय ऑक्साइड जल से क्रिया करके अम्ल बनाते हैं, जैसे सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) जल से क्रिया कर सल्फ्यूरस अम्ल (H₂SO₃) बनाती है। कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) जल से क्रिया कर कार्बोनिक अम्ल (H₂CO₃) बनाती है। नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) जल से क्रिया कर नाइट्रिक अम्ल (HNO₃) बनाती है। यह अम्लीय प्रकृति अधातु ऑक्साइडों की एक विशिष्ट पहचान है।
प्रश्न 12. कारण बताइए : –
(a) प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
(b) सोडियम, पोटैशियम एवं लिथियम को तेल के अंदर संग्रहीत किया जाता है।
(c) एल्युमिनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है, फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन बनाने के लिए किया जाता है।
(d) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को आक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
उत्तर-
(a) प्लेटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने में होता है क्योंकि ये धातुएँ रासायनिक रूप से निष्क्रिय हैं और वायु, नमी या अन्य रसायनों से प्रभावित नहीं होती हैं। इनका चमकदार और आकर्षक रूप लंबे समय तक बना रहता है। ये धातुएँ तन्य और आघातवर्ध्य होती हैं, जिससे इन्हें आसानी से विभिन्न आकार दिया जा सकता है।
(b) सोडियम, पोटैशियम एवं लिथियम को तेल के अंदर संग्रहीत किया जाता है क्योंकि सोडियम, पोटैशियम और लिथियम अत्यधिक क्रियाशील धातुएँ हैं जो वायु और जल से तीव्र अभिक्रिया करती हैं। तेल में रखने से ये वायु और नमी के संपर्क में नहीं आती हैं क्योंकि तेल जल-विरोधी होता है। इससे इन धातुओं का सुरक्षित भंडारण सुनिश्चित होता है।
(c) एल्युमीनियम अपनी सतह पर Al₂O₃ की एक पतली, अविलेय परत बना लेता है जो इसे आगे के संक्षारण से बचाती है। यह ऑक्साइड परत मजबूत और चिपकी हुई होती है जो आसानी से हटती नहीं है। इसलिए एल्युमीनियम के बर्तन खाना पकाने के लिए सुरक्षित होते हैं।
(d) कार्बोनेट और सल्फाइड अयस्कों को भट्टी में गरम करके ऑक्साइड में बदला जाता है क्योंकि धातु के ऑक्साइड से धातु का निष्कर्षण आसान होता है। ऑक्साइड को कार्बन या अन्य अपचायक के साथ गरम करके आसानी से धातु प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न 13. आपने ताँबे के मलिन बर्तन को नींबू या इमली के रस से साफ़ करते अवश्य देखा होगा। यह खट्टे पदार्थ बर्तन को साफ़ करने में क्यों प्रभावी हैं।
उत्तर- जब तांबे के बर्तन वायु के संपर्क में आते हैं, तो उन पर हरे रंग का कॉपर कार्बोनेट का मैल जम जाता है। नींबू और इमली में पाया जाने वाला साइट्रिक अम्ल इस हरे मैल (कॉपर कार्बोनेट) से रासायनिक अभिक्रिया करता है। इस अभिक्रिया से कॉपर साइट्रेट बनता है, जो पानी में घुलनशील होता है। इसलिए बर्तन को पानी से धोने पर यह आसानी से साफ हो जाता है। यही कारण है कि खट्टे पदार्थ तांबे के बर्तनों की सफाई में बहुत प्रभावी होते हैं।
प्रश्न 14. रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर धातुओं अधातुओं में विभेद कीजिए |
उत्तर- धातुएँ और अधातुएँ रासायनिक गुणधर्मों में महत्वपूर्ण अंतर रखती हैं। धातुएँ अम्लों के साथ अभिक्रिया करके लवण और हाइड्रोजन गैस बनाती हैं, जबकि अधातुएँ ऐसा नहीं कर पातीं। धातुएँ क्षारीय ऑक्साइड बनाती हैं, जबकि अधातुएँ अम्लीय ऑक्साइड। अधिकांश धातुएँ हाइड्रोजन को विस्थापित कर सकती हैं, लेकिन अधातुएँ ऐसा नहीं कर सकतीं। सक्रिय धातुएँ जल से अभिक्रिया करके हाइड्रोक्साइड और हाइड्रोजन गैस बनाती हैं, जबकि अधातुएँ ऐसा नहीं करतीं।
प्रश्न 15. एक व्यक्ति प्रत्येक घर में सुनार बनकर जाता है। उसने पुराने एवं मलिन सोने के आभूषणों में पहले जैसी चमक पैदा करने का ढोंग रचाया। कोई संदेह किए बिना ही एक महिला अपने सोने के कंगन उसे देती है जिसे वह एक विशेष विलयन में डाल देता है। कंगन नए की तरह चमकने लगते हैं लेकिन उनका वजन अत्यंत कम हो जाता है। वह महिला बहुत दुखी होती है तथा तर्क-वितर्क के पश्चात उस व्यक्ति को झुकना पड़ता है। एक जासूस की तरह क्या आप उस विलयन की प्रकृति के बारे में बता सकते हैं।
उत्तर- एक्वा रेजिया एक अत्यंत शक्तिशाली विलयन है जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल और नाइट्रिक अम्ल का 3:1 के अनुपात में मिश्रण है। यह विलयन सोने को घोलने में सक्षम है, जो किसी अन्य अम्ल के लिए असंभव है। इसमें मौजूद नाइट्रिक अम्ल सोने की सतह को ऑक्सीकृत करता है, जबकि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल इसे घोलने में मदद करता है। परिणामस्वरूप, सोने के आभूषण चमकदार दिखते हैं, लेकिन उनका वजन कम हो जाता है क्योंकि कुछ सोना विलयन में घुल जाता है। इस तरह, धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति सोने के वजन में कमी कर देता है।
प्रश्न 16. गर्म जल का टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग होता है परंतु इस्पात (लोहे की मिश्रातु ) इसका कारण बताइए |
उत्तर- गर्म जल के टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग कई महत्वपूर्ण कारणों से किया जाता है। ताँबा गर्म जल या भाप के साथ रासायनिक अभिक्रिया नहीं करता, जबकि इस्पात ऐसा करता है। ताँबे की अधिक ऊष्मा चालकता पानी को तेजी से और समान रूप से गर्म करने में सहायक होती है। ताँबे पर बनने वाली पतली परत संक्षारण से बचाव करती है। इसके अलावा, ताँबे के जीवाणुरोधी गुण पानी को स्वच्छ रखने में मदद करते हैं। इन विशेषताओं के कारण ताँबा गर्म जल टैंक के लिए सबसे उपयुक्त धातु माना जाता है।