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“यह दंतुरित मुस्कान” और “फसल” दोनों कविताएँ नागार्जुन द्वारा रचित हैं, जिनमें जीवन के अलग-अलग पहलुओं का चित्रण किया गया है। “यह दंतुरित मुस्कान” में कवि ने एक छोटे बच्चे की मासूम मुस्कान का वर्णन किया है, जबकि “फसल” कविता में मेहनतकश किसानों के श्रम और प्रकृति की महत्ता को दर्शाया गया है। दोनों कविताओं में एक गहरा मानवीय और प्राकृतिक संबंध दिखाई देता है— “यह दंतुरित मुस्कान” में मासूमियत और प्रेम का चित्रण है, जबकि “फसल” में मेहनत, संघर्ष, और प्रकृति के सहयोग से जीवन की उत्पत्ति का चित्रण है।

MP Board Class 10 Hindi Kshitij Chapter 5
Contents
| Subject | Hindi ( क्षितिज भाग 2 ) |
| Class | 10th |
| Chapter | 5. यह दंतुरित मुस्कान, फसल |
| Author | नागार्जुन |
| Board | MP Board |
प्रश्न अभ्यास – यह दंतुरित मुस्कान
प्रश्न 1. बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर- बच्चे की दंतुरित मुस्कान कवि के मन पर गहरा प्रभाव डालती है। यह मुस्कान इतनी शुद्ध और निर्मल है कि कवि को लगता है जैसे तालाब के कमल उनकी कुटिया में खिल गए हैं। बच्चे की मासूम मुस्कान कवि के जीवन में सौंदर्य और आनंद का संचार करती है, जो उनके घर को स्वर्ग जैसा बना देती है।
प्रश्न 2. बच्चे की मुस्कान और एक बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अन्तर है ?
उत्तर- बच्चे की मुस्कान में निश्छल भाव, निर्मल प्रेम और स्वाभाविक सरलता होती है, जो देखने वाले के मन को तुरंत प्रसन्न कर देती है। दूसरी ओर, बड़े व्यक्ति की मुस्कान में अक्सर कोई स्वार्थ, औपचारिकता या कृत्रिमता छिपी होती है। बड़ों की मुस्कान के पीछे कई बार छिपे हुए उद्देश्य या अर्थ होते हैं, जबकि बच्चे की मुस्कान सहज और निःस्वार्थ होती है।
प्रश्न 3. कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है ?
उत्तर- कवि ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को विभिन्न प्राकृतिक और काव्यात्मक बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है:-
- कमल का बिंब – मुस्कान की कोमलता और सौंदर्य को दर्शाता है
- शेफालिका के फूलों का बिंब – मुस्कान की मधुरता और पवित्रता को प्रकट करता है
- अपलक और तिरछी नज़रों का बिंब – बच्चे की निश्छल शरारत को दर्शाता है
- नए दाँतों का बिंब – नवजीवन और निर्मलता का प्रतीक है
- ये सभी बिंब मिलकर बच्चे की मुस्कान की सुंदरता को पूर्णता प्रदान करते हैं।
प्रश्न 4. भाव स्पष्ट कीजिए
(क) छोड़कर तालाब मेरी झोंपड़ी में खिल रहे जलजात।
भाव – कवि कह रहे हैं कि जिस प्रकार कमल तालाब में खिलता है, उसी प्रकार एक छोटा बच्चा अपनी मुस्कान से कवि की कुटिया को खिलखिला देता है। यह बच्चे की मासूमियत और उसकी मुस्कान की सुंदरता को दर्शाता है।
(ख) छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल बाँस था कि बबूल ?
भाव – इस पंक्ति में कवि बच्चों की मुस्कान की शक्ति का वर्णन कर रहे हैं। जैसे शेफालिका के फूल छूने मात्र से झरने लगते हैं, वैसे ही बच्चों की निर्मल मुस्कान किसी भी कठोर हृदय को भी पिघला देती है। यह दर्शाता है कि बच्चों की मुस्कान में कितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5. मुस्कान और क्रोध भिन्न-भिन्न भाव हैं। इनकी उपस्थिति से बने वातावरण की भिन्नता का चित्रण कीजिए।
उत्तर- मुस्कान और क्रोध दो विपरीत मानवीय भाव हैं जो वातावरण को पूरी तरह बदल देते हैं। मुस्कान से कमरे में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, लोगों के बीच आत्मीयता बढ़ती है और तनाव कम होता है। वहीं क्रोध से वातावरण में तनाव और भय छा जाता है, रिश्तों में कड़वाहट आ जाती है और सकारात्मक संवाद टूट जाता है। मुस्कान जहां लोगों को जोड़ती है, वहीं क्रोध उन्हें एक-दूसरे से दूर कर देता है।
प्रश्न 6.दंतुरित मुसकान से बच्चे की उम्र का अनुमान लगाइए और तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर- कविता में वर्णित बच्चे की उम्र लगभग 8-10 महीने की होगी। इस आयु में बच्चों के पहले दांत निकलने शुरू होते हैं और वे मुस्कुराना भी सीख जाते हैं। दंतुरित मुस्कान का विशेष उल्लेख और बच्चे की निर्दोष हंसी इसी आयुवर्ग की विशेषता है। यह वह समय होता है जब बच्चे अपनी पहली सामाजिक प्रतिक्रियाएं देना शुरू करते हैं।
प्रश्न 7. बच्चे से कवि की मुलाकात का जो शब्द-चित्र उपस्थित हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर- बच्चे से कवि की मुलाकात एक भावनात्मक क्षण है जहां बच्चे की मासूम मुस्कान कवि के थके हुए मन में नई ऊर्जा भर देती है। बच्चा अपनी चमकती आंखों से कवि को निहारता है, जिससे उसकी दंतुरित मुस्कान और भी मनमोहक लगती है। कवि बच्चे की मां के प्रति आभार व्यक्त करता है, जिसकी वजह से उसे यह खूबसूरत पल देखने को मिला। यह मुलाकात सहज और स्वाभाविक है, जो जीवन की सुंदरता को दर्शाती है।
प्रश्न अभ्यास – फसल
प्रश्न 1. कवि के अनुसार फसल क्या है ?
उत्तर- कवि के अनुसार फसल प्रकृति और मानवीय श्रम का समन्वित परिणाम है। यह किसान के अथक परिश्रम, प्रकृति के तत्वों और समय के धैर्य से तैयार होती है। फसल में सूर्य की किरणें, वायु, जल और मिट्टी का योगदान समाहित होता है। यह किसान के कठोर परिश्रम की जीवंत अभिव्यक्ति है जो धरती की उर्वरता से पल्लवित होती है।
प्रश्न 2. कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं ?
उत्तर- कविता में फसल के लिए पांच आवश्यक तत्वों का वर्णन किया गया है। सूर्य की किरणें फसल को पोषण देती हैं, वायु उसे सांस देती है, जल उसका जीवन है। पृथ्वी (मिट्टी) उसका आधार है और सबसे महत्वपूर्ण है किसान का परिश्रम जो इन सभी तत्वों को एक साथ जोड़कर फसल को जीवन देता है।
प्रश्न 3. फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ?
उत्तर- ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि किसान के श्रम की महत्ता को दर्शाता है। यह श्रम न केवल शारीरिक है बल्कि इसमें किसान का समर्पण, उसकी लगन और धैर्य भी शामिल है। कवि बताना चाहता है कि फसल में किसान के हाथों की छुअन की पवित्रता समाहित है, जो इसे महज एक उपज से कहीं अधिक बना देती है।
प्रश्न 4, भाव स्पष्ट कीजिए- रूपांतर है सूरज की किरणों का सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का!
उत्तर- इन पंक्तियों में कवि बताता है कि फसल प्रकृति के तत्वों का रूपांतरण है। सूर्य की किरणें और हवा की गति फसल में समाहित होकर एक नया रूप धारण कर लेती हैं। कवि की दृष्टि में फसल प्रकृति के इन तत्वों का संगीतमय नृत्य है, जो अंततः अन्न के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 5. कवि ने फसल को हज़ार-हज़ार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
उत्तर- मिट्टी का गुण-धर्म उसकी प्राकृतिक विशेषताओं का समूह है जो उसे जीवन को पोषित करने की क्षमता प्रदान करता है। इसमें मिट्टी की उर्वरता, नमी धारण करने की क्षमता, वायु संचार, जैविक तत्वों की उपलब्धता और पोषक तत्वों का संतुलन शामिल है। विभिन्न प्रकार की मिट्टियाँ जैसे काली, दोमट, या बलुई अपने विशिष्ट गुण-धर्म के कारण अलग-अलग फसलों के लिए उपयुक्त होती हैं।
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस- किस तरह प्रभावित करती है ?
उत्तर- आधुनिक कृषि में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग मिट्टी के प्राकृतिक गुण-धर्म को नष्ट कर रहा है। शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण उपजाऊ भूमि का क्षरण हो रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण और रासायनिक कचरा मिट्टी की गुणवत्ता को लगातार कम कर रहा है। अत्यधिक सिंचाई और एकल फसल पद्धति से मिट्टी की संरचना बिगड़ रही है।
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
उत्तर- मिट्टी के गुण-धर्म के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यह न केवल पौधों को जन्म देती है बल्कि जल संरक्षण, कार्बन संतुलन और सूक्ष्मजीवों के निवास का भी कार्य करती है। स्वस्थ मिट्टी ही खाद्य श्रृंखला का आधार है और इसके बिना मानव सभ्यता का अस्तित्व संभव नहीं है।
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
उत्तर- हम मिट्टी के गुण-धर्म को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देकर, फसल चक्र अपनाकर और कम्पोस्ट का प्रयोग करके मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं। रासायनिक उर्वरकों का संतुलित प्रयोग, मिट्टी की नियमित जाँच और उचित जल प्रबंधन भी आवश्यक है। वृक्षारोपण और भूमि संरक्षण कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी करके भी हम मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।