MP Board Class 10 Hindi Kshitij Chapter 4 Solutions – उत्साह, अट नहीं रही

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“उत्साह” और “अट नहीं रही” दोनों कविताएँ प्रकृति के सौंदर्य और मानवीय जीवन के बीच गहरे संबंधों का वर्णन करती हैं, लेकिन अलग-अलग दृष्टिकोणों से। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की “उत्साह” में बादलों को एक प्रेरणादायक और क्रांतिकारी शक्ति के रूप में देखा गया है। बादल, जहाँ एक ओर प्यासे धरतीवासियों की प्यास बुझाते हैं और जीवन को नया रूप देते हैं, वहीं दूसरी ओर वे सामाजिक बदलाव और क्रांति के प्रतीक भी हैं। यह कविता उन दिनों की है जब भारत स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था। कवि बादलों से प्रेरणा लेते हुए देशवासियों के भीतर नया उत्साह और आत्मविश्वास भरने की बात करता है।

“अट नहीं रही” कविता फागुन के महीने के प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाती है। इस कविता में प्रकृति अपने चरम पर होती है, जब पेड़ों पर लाल-हरे पत्ते और रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। हवा में फैली सुगंध, सरसों के पीले फूलों की चादर, और फागुन की हवाओं से धरती पर फैला आनंद कवि को अभिभूत कर देता है। फागुन का यह सौंदर्य इतना विशाल और अद्वितीय है कि उसे शब्दों में समेट पाना असंभव हो जाता है।

MP Board class 10 Hindi Kshitij chapter 4

MP Board Class 10 Hindi Kshitij Chapter 4

SubjectHindi ( क्षितिज भाग 2 )
Class10th
Chapter4. उत्साह, अट नहीं रही
Authorसूर्यकांत त्रिपाठी निराला
BoardMP Board

प्रश्न अभ्यास – उत्साह

प्रश्न 1. कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों ?

उत्तर- कवि बादल से गरजने के लिए इसलिए कहता है क्योंकि गरजना क्रांति का प्रतीक है। बादल का गरजना क्रांतिकारी परिवर्तन का संकेत है, जो निराशा में आशा का संचार करता है और लोगों में जीवन के प्रति नया उत्साह भर देता है। यह आज़ादी के संघर्ष का प्रतीक भी है।

प्रश्न 2. कविता का शीर्षक उत्साह’ क्यों रखा गया है ?

उत्तर- कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसलिए रखा गया है क्योंकि इसमें बादलों के माध्यम से जीवन में नई ऊर्जा और उमंग के संचार का वर्णन है। बादलों का आगमन प्रकृति और मनुष्य दोनों में नवजीवन का संचार करता है, जो उत्साह का प्रतीक है। यह राष्ट्रीय जागरण का प्रतीक भी है।

प्रश्न 3. कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?

उत्तर- कविता में बादल विभिन्न प्रतीकात्मक अर्थों की ओर संकेत करता है – जैसे क्रांति का प्रतीक, पुराने का विनाश और नए का निर्माण, स्वतंत्रता आंदोलन की चेतना, और आशा का संचार। बादल पुरानी व्यवस्था को नष्ट करके नई व्यवस्था की स्थापना का प्रतीक है।

प्रश्न 4. शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौन्दर्य कहलाता है। ‘उत्साह’ कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौन्दर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।

उत्तर- ‘उत्साह’ कविता में कई शब्दों में नाद-सौंदर्य विद्यमान है, जैसे:-

  1. पुनरुक्ति से – ‘घेर घेर घोर’, ‘ललित ललित’, ‘विकल विकल’, ‘उन्मन-उन्मन’
  2. अनुप्रास से – ‘काले घुंघराले’, ‘धाराधर’
  3. लयात्मकता से – ‘अज्ञात दिशा से अनंत के घन’
  4. ये शब्द कविता में संगीतात्मकता और भावानुकूल ध्वनि का सृजन करते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5. जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अन्तर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौन्दर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।

उत्तर-

चाँदनी रात का सौंदर्य

चंद्रमा की शीतल चाँदनी धरती को निहार रही है,
हर कण में उसकी आभा बिखर-बिखर कर संवार रही है।
हरी घास पर ओस की बूँदें मोती-से चमक रहे हैं,
लहराते वृक्ष पवन की थाप पर मानो नृत्य कर रहे हैं।

सागर का सौंदर्य

नीले जल में लहरें उठतीं, किनारे से टकराती हैं,
सूरज की सुनहरी किरणें, जल में हीरे बिखराती हैं।
समुद्र की गर्जना से गूँजे, सारा तट-प्रांगण मेरा,
मन में उमड़े भाव तरंगित, जैसे लहरों का डेरा।

पाठेतर सक्रियता

बादलों पर अनेक कविताएँ हैं। कुछ संकलन करें और उनका चित्रांकन भी कीजिए।

उत्तर- विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं करे।

प्रश्न अभ्यास – अट नही रही है

प्रश्न 1. छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है ? लिखिए।

उत्तर- छायावादी कविता में अंतर्मन और बाह्य जगत का सामंजस्य इन पंक्तियों में स्पष्ट दिखाई देता है। “कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो” में प्रकृति के साथ मानवीय भावों का तादात्म्य है, जबकि “उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो” में आंतरिक स्वतंत्रता की चाह को प्रकृति के माध्यम से व्यक्त किया गया है।

प्रश्न 2. कवि की आँख फागुन की सुन्दरता से क्यों नहीं हट रही है?

उत्तर- कवि की आँख फागुन की सुंदरता से इसलिए नहीं हट रही है क्योंकि यह प्राकृतिक सौंदर्य का चरम है। फागुन में प्रकृति अपनी समस्त छटाओं के साथ प्रकट होती है – नए पल्लव, रंग-बिरंगे फूल, मंद-सुगंधित पवन, और कोयल की कूक। यह सौंदर्य कवि के मन को मोह लेता है और उसकी चेतना को आप्लावित कर देता है।

प्रश्न 3. प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है ?

उत्तर- कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन विभिन्न रूपों में किया है – रंग-बिरंगे फूलों की बहार, मधुर सुगंध का प्रसार, नई कोंपलों का विकास, और मंद पवन का संचार। प्रकृति का यह विराट रूप हर दिशा में फैला हुआ है और सभी इंद्रियों को तृप्त करता है। इस वर्णन में दृश्य, गंध और स्पर्श तीनों का समावेश है।

प्रश्न 4. फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है ?

उत्तर- फागुन की विशिष्टता निम्नलिखित बिंदुओं में झलकती है:-

  • मौसम की समशीतोष्णता (न अधिक गर्मी, न अधिक सर्दी)
  • प्रकृति का नवजीवन (नए पल्लव, फूल)
  • वातावरण की मादकता (सुगंधित मंद पवन)
  • रंगों का उत्सव (होली का त्योहार)
  • प्राकृतिक संगीत (पक्षियों का कलरव)

प्रश्न 5. इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- निराला जी के काव्य-शिल्प की प्रमुख विशेषताएँ हैं:-

  • प्रकृति का मौलिक और सजीव चित्रण
  • भाषा में तत्सम-तद्भव शब्दों का सार्थक प्रयोग
  • अलंकारों (पुनरुक्ति प्रकाश, मानवीकरण, अनुप्रास) का सुंदर प्रयोग
  • संबोधन शैली और लयात्मकता का प्रभावी उपयोग
  • सरल और प्रभावशाली भाषा का प्रयोग
  • मुक्त छंद का नवीन प्रयोग

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