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“पद्य” अध्याय के माध्यम से सूरदास जी ने गोपियों और उद्धव के बीच के संवाद को अत्यंत मार्मिक और भावुक रूप में प्रस्तुत किया है। इस अध्याय में गोपियों की कृष्ण के प्रति गहरी प्रेम भावना और उनके विरह की तीव्रता को उजागर किया गया है। गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यशाली समझा जाता है, क्योंकि वे श्रीकृष्ण के साथ रहने के बावजूद उनके प्रेम के बंधन से अछूते हैं। इस पद में गोपियों के व्यंग्य, शिकायतें और श्रीकृष्ण के प्रति उनकी गहरी भावनाएँ प्रकट होती हैं।

MP Board Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1
| Subject | Hindi ( क्षितिज भाग 2 ) |
| Class | 10th |
| Chapter | 1. पद |
| Author | सूरदास |
| Board | MP Board |
प्रश्न – अभ्यास
प्रश्न 1. गोषियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?
उत्तर- गोपियों ने व्यंग्यात्मक रूप से उद्धव को भाग्यवान कहा है, जो वास्तव में एक तीखा व्यंग्य है। उनका आशय यह है कि उद्धव कृष्ण के निकट रहते हुए भी उनके प्रेम से अछूते हैं, जबकि गोपियाँ पूरी तरह कृष्ण प्रेम में डूबी हुई हैं। यह कथन उद्धव की भावनाहीनता और गोपियों के अनन्य प्रेम के बीच तीखा विरोधाभास दर्शाता है।
प्रश्न 2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?
उत्तर- गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल-पुष्प की पंखुड़ियों और तेल में सनी मटकी से की है। कमल-पत्ती पर जल की बूंदें नहीं ठहरतीं, वैसे ही उद्धव कृष्ण के प्रेम से अप्रभावित हैं। तेल में डुबोई गई मटकी की तरह, वे कृष्ण के संदेश को अपने तक सीमित रखते हैं।
प्रश्न 3, गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?
उत्तर- गोपियों ने कई उदाहरणों द्वारा उद्धव को उलाहने दिए हैं। कमल-पुष्प का उदाहरण देकर उन्होंने उद्धव की भावनाहीनता दर्शाई। तेल में सनी मटकी द्वारा उनकी कठोरता को दर्शाया। मधुकर (भ्रमर) के उदाहरण से उनके कठोर हृदय को प्रकट किया और प्रेम-मार्ग से दूर रहने का व्यंग्य किया।
प्रश्न 4. उद्धव द्वारा दिए गए योग के सन्देश ने गोपियों की विराग्नि में घी का काम कैसे किया ?
उत्तर- कृष्ण के मथुरा चले जाने के बाद गोपियाँ उनकी राह देख रही थीं। उद्धव द्वारा लाया गया योग का संदेश उनकी विरह-वेदना में और अधिक तीव्रता लाया। यह संदेश गोपियों की विरहाग्नि में घी के समान था, जिसने उनके दुख और पीड़ा को और भी प्रचंड बना दिया।
प्रश्न 5 ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी अांदा न रहने की बात की जा रही है ?
उत्तर- इस पंक्ति द्वारा गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने प्रेम की मर्यादा और उनकी विश्वासघाती प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। कृष्ण ने स्वयं अपनी मर्यादा तोड़ी है, अतः गोपियाँ पूछती हैं कि उन्हें धैर्य कैसे धारण करना चाहिए। यह उनके भावनात्मक संघर्ष को दर्शाता है।
प्रश्न 6. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है।
उत्तर- गोपियों ने हारिल पक्षी की लकड़ी के उदाहरण द्वारा अपने अनन्य प्रेम को व्यक्त किया। उन्होंने कृष्ण को मन, वचन और कर्म से पूरी तरह आत्मसात कर लिया है। स्वप्न, जागरण, हर पल में वे केवल कृष्ण का नाम लेती हैं और उनकी अनन्य प्रेमिका होने का गौरव रखती हैं।
प्रश्न 7. गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है?
उत्तर- गोपियों ने उद्धव से कहा कि योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को दी जाए जिनके मन चक्की के समान चंचल और अस्थिर हैं। ऐसे लोग जो एक देवता से दूसरे देवता की ओर भटकते रहते हैं, उन्हें योग का संदेश दिया जा सकता है।
प्रश्न 8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
उत्तर- गोपियाँ योग-साधना को पूरी तरह अस्वीकार करती हैं। उनके लिए यह अग्नि समान जलाने वाला और दुख देने वाला मार्ग है। उद्धव का योग-संदेश उनकी विरहाग्नि को और अधिक तीव्र करता है। वे इसे ककड़ी की तरह कड़वा मानती हैं।
प्रश्न 9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
उत्तर- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा की सेवा और कल्याण में निहित है। उसे प्रजा पर अत्याचार नहीं करना चाहिए और न ही किसी अन्य द्वारा अत्याचार होने देना चाहिए। राजा का मुख्य कर्तव्य है प्रजा के दुख को दूर करना और उन्हें सुख पहुँचाना।
प्रश्न 10, गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?
उत्तर- गोपियों ने कृष्ण में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखे जो उन्हें अत्यंत पीड़ित करते हैं। मथुरा में राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में डूबे कृष्ण ने अपने मूल स्वभाव को बदल दिया। उन्होंने उद्धव के माध्यम से योग का संदेश भेजकर गोपियों के प्रेम को चुनौती दी। पहले जिन्होंने गोपियों को अपने प्रेम-जाल में फंसाया था, अब वे उन्हें योग की शिक्षा देने लगे। यह परिवर्तन गोपियों के लिए अत्यंत कठिन और पीड़ादायक था।
प्रश्न 11. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाकचातुर्य की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- गोपियों के वाक्चातुर्य में हास्य और व्यंग्य की अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने निराकार ब्रह्म के स्थान पर साकार कृष्ण को महत्व दिया। अपनी बातों में उन्होंने उद्धव को प्रेम की परिभाषा से अनजान साबित किया। उनका व्यंग्यात्मक कटाक्ष इतना तीखा था कि उद्धव की ज्ञान-बुद्धि को चकनाचूर कर दिया। गोपियों ने उद्धव को प्रेम-बंधन से दूर रहने के कारण व्यंग्यात्मक रूप से ‘बड़भागी’ कहा।
प्रश्न 12. संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- सूर के भ्रमरगीत में गोपियों की भावनाओं का अद्भुत चित्रण मिलता है। गोपियाँ उद्धव पर तीखे व्यंग्य-वाण छोड़ती हैं और उनकी योग-साधना को ककड़ी के समान कड़वा बताती हैं। वे उद्धव को प्रेम की पीड़ा से अनभिज्ञ दर्शाती हैं। भ्रमरगीत में गोपियाँ कृष्ण को राजधर्म और राजकर्तव्य का स्मरण कराती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे अपने अनन्य प्रेम को सर्वोपरि रखती हैं।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 13. गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।
उत्तर- गोपियों के तर्कों में एक गहरी भावनात्मक अभिव्यक्ति थी। उन्होंने योग के सिद्धांत को प्रेम की तीव्रता के सामने कमजोर साबित किया। हमारी कल्पना में एक और तर्क हो सकता है – क्या कोई प्रेमी अपने प्रियतम के प्रेम को त्याग कर किसी अन्य मार्ग पर चल सकता है? जैसे कमल पानी से नहीं डरता, वैसे ही गोपियों का प्रेम भी अडिग था। उनके लिए कृष्ण-प्रेम मधुर अमृत था, जबकि योग कड़वी ककड़ी के समान।
प्रश्न 14. उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखरित हो उठी ?
उत्तर- गोपियों के पास कृष्ण-प्रेम की असीम शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में प्रकट हुई। उनका प्रेम इतना गहरा था कि वह ज्ञान और नीति से ऊपर था। वे दिन-रात, जागते-सोते कृष्ण का नाम लेती, उनकी प्रतीक्षा करती। उद्धव के योग-संदेश के सामने उनका प्रेम एक अजेय शक्ति बन गया। गोपियों ने अपने सरल और भावपूर्ण वाक्चातुर्य से उद्धव के ज्ञान को चुनौती दी।
प्रश्न 15, गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नजर आता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कृष्ण के ब्रज से मथुरा जाने के बाद उनका पूरा व्यक्तित्व बदल गया। पहले वे ग्वालों के साथ खेलते और गोपियों के साथ रासलीला करते थे, अब वे राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में लिप्त हो गए। गोपियों का यह कथन वास्तव में सत्ता और शक्ति के प्रति मनुष्य के बदलते व्यवहार को दर्शाता है। समकालीन राजनीति में भी देखा जा सकता है कि लोग अपने मूल स्वभाव को त्याग कर सत्ता के लिए अपना रूप बदल लेते हैं।