MP Board Class 10 Science Chapter 11 Solutions – विद्युत

MP Board class 10 Science chapter 11 solutions are available here. It covers all question answers for Vigyan chapter 11 – “विद्युत” in hindi medium.

विद्युत अध्याय हमारे दैनिक जीवन में विद्युत के महत्व और उसके व्यवहार को समझाता है। इस अध्याय में आप विद्युत धारा, विभवांतर, विद्युत प्रतिरोध और ओम के नियम के बारे में सीखेंगे। श्रेणीक्रम और समांतर क्रम में विद्युत परिपथों के जुड़ने की विधि, प्रतिरोधों का संयोजन, और विद्युत धारा के ऊष्मीय प्रभाव की विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही विद्युत शक्ति और ऊर्जा की गणना करना भी सीखेंगे, जो घरेलू विद्युत उपकरणों के उपयोग को समझने में सहायक होगा।

MP Board class 10 Science chapter 11

MP Board Class 10 Science Chapter 11 Solutions

SubjectScience (विज्ञान)
Class6th
Chapter11. विद्युत
BoardMP Board

अध्ययन के बीच वाले प्रश्न

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या- 191)

प्रश्न 1. विद्युत परिपथ का क्या अर्थ है ?

उत्तर- विद्युत परिपथ एक बंद वैद्युत मार्ग है जिसमें विद्युत धारा निरंतर प्रवाहित हो सकती है। यह विभिन्न विद्युत घटकों को एक-दूसरे से जोड़ता है, जिससे विद्युत का संचरण संभव होता है। एक पूर्ण विद्युत परिपथ में मुख्य रूप से बैटरी या विद्युत स्रोत, संचालक तार, विद्युत उपकरण और स्विच शामिल होते हैं। जब परिपथ बंद होता है, तो इलेक्ट्रॉन स्रोत के ऋणात्मक टर्मिनल से धनात्मक टर्मिनल की ओर गति करते हैं। इस प्रक्रिया में विद्युत धारा उत्पन्न होती है जो उपकरणों को ऊर्जा प्रदान करती है।

प्रश्न 2. विद्युत धारा के मात्रक की परिभाषा लिखिए ।

उत्तर- विद्युत धारा का मानक मात्रक एम्पियर (A) है। एक एम्पियर को इस प्रकार परिभाषित किया जाता है: जब एक कूलॉम आवेश एक सेकंड में किसी चालक के अनुप्रस्थ काट से गुजरता है, तो यह एक एम्पियर विद्युत धारा कहलाता है। गणितीय रूप में, 1A = 1C/1s होता है। बड़े उपकरणों में एम्पियर और छोटे उपकरणों में मिलीएम्पियर (1mA = 10^-3 A) का उपयोग किया जाता है। विद्युत धारा को मापने के लिए एमीटर नामक उपकरण का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 3. एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए

उत्तर-

एक कूलॉम आवेश की रचना करने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या परिकलित कीजिए

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या- 193)

प्रश्न 1. उस युक्ति का नाम लिखिए जो किसी चालक के सिरों पर विभवांतर बनाए रखने में सहायता करती हैं।

उत्तर- विद्युत वाहक बल (EMF) स्रोत चालक के सिरों पर स्थिर विभवांतर बनाए रखते हैं। ये विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं। सामान्य EMF स्रोतों में बैटरी, सौर सेल, थर्मोकपल और जनरेटर शामिल हैं। ये युक्तियां रासायनिक, यांत्रिक, ताप या प्रकाश ऊर्जा का उपयोग करके विद्युत विभवांतर उत्पन्न करती हैं। विभवांतर के कारण इलेक्ट्रॉनों में गति पैदा होती है, जिससे विद्युत धारा प्रवाहित होती है। इस प्रकार ये स्रोत विद्युत परिपथ में निरंतर ऊर्जा संचरण सुनिश्चित करते हैं।

प्रश्न 2. यह कहने का क्या तात्पर्य है कि दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1V है?

उत्तर- जब दो बिंदुओं के बीच विभवांतर 1 वोल्ट होता है, तो इसका अर्थ है कि एक कूलॉम आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक स्थानांतरित करने में एक जूल कार्य करना पड़ता है। वोल्ट विभवांतर का मानक SI मात्रक है, जिसे जूल प्रति कूलॉम (J/C) के रूप में परिभाषित किया जाता है। गणितीय रूप से, विभवांतर (V) = कार्य (W) / आवेश (Q) होता है। यह विभवांतर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता को दर्शाता है और विद्युत धारा के प्रवाह का मुख्य कारण बनता है। इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉन स्वतः उच्च विभव से निम्न विभव की ओर गति करते हैं।

प्रश्न 3. 6V बैटरी से गुजरने वाले हर एक कूलॉम आवेश को कितनी ऊर्जा दी जाती है?

उत्तर- आवेश (Q) = 1C, विभवांतर (V) = 6V
∴ प्रत्येक आवेश को दी गई ऊर्जा = किया गया कार्य (W)
= Q.V = 6V x 1C = 6J

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या- 201)

प्रश्न 1. किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?

उत्तर- किसी चालक का प्रतिरोध चार मुख्य कारकों पर निर्भर करता है। पहला, चालक की लंबाई जितनी अधिक होगी, प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा। दूसरा, चालक के अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल जितना बड़ा होगा, प्रतिरोध उतना ही कम होगा। तीसरा, चालक की प्रकृति या पदार्थ का प्रकार, क्योंकि प्रत्येक पदार्थ की विशिष्ट प्रतिरोधकता अलग होती है। चौथा, तापमान का प्रभाव, जिसमें अधिकांश धातुओं का प्रतिरोध तापमान बढ़ने पर बढ़ता है। इन सभी कारकों का संयुक्त प्रभाव चालक के कुल प्रतिरोध को निर्धारित करता है।

प्रश्न 2. समान पदार्थ के दो तारों में यदि एक पतला तथा दूसरा मोटा हो तो इनमें से किसमें विद्युत धारा आसानी से प्रवाहित होगी जबकि उन्हें समान विद्युत स्त्रोत से संयोजित किया जाता हैं? क्यों?

उत्तर- मोटे तार में विद्युत धारा अधिक आसानी से प्रवाहित होगी। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि चालक का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है (R ∝ 1/A)। मोटे तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल अधिक होने के कारण उसका प्रतिरोध कम होता है। ओम के नियम के अनुसार, समान विभवांतर पर कम प्रतिरोध वाले तार में अधिक धारा प्रवाहित होती है। यह ठीक वैसे ही है जैसे चौड़ी सड़क पर यातायात अधिक सुगमता से चलता है।

प्रश्न 3. मान लीजिए किसी वैद्युत अवयव के दो सिरों के बीच विभवांतर को उसके पूर्व के विभवांतर की ‘तुलना घटाकर आधा कर देने पर भी उसका प्रतिरोध नियत रहता है । तब उस अवयव से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा मैं क्या परिवर्तन होगा?

उत्तर- ओम के नियम (V = IR) के अनुसार, यदि प्रतिरोध (R) स्थिर रहता है और विभवांतर (V) आधा कर दिया जाता है, तो विद्युत धारा (I) भी आधी हो जाएगी। यह एक सीधा अनुपाती संबंध है। उदाहरण के लिए, यदि पहले विभवांतर 6V था और धारा 2A थी, तो विभवांतर के 3V होने पर धारा 1A हो जाएगी। यह इसलिए होता है क्योंकि विद्युत धारा विभवांतर के समानुपाती होती है।

प्रश्न 4. विद्युत टोस्टरों तथा विद्युत इस्तरीयों के तापन अवयव शुद्ध धातु के न बनाकर किसी मिश्रातु के क्यों बनाए जाते हैं?

उत्तर- विद्युत टोस्टर और इस्त्री के तापन अवयव मिश्रधातु से बनाए जाते हैं क्योंकि इनमें कई लाभकारी गुण होते हैं। मिश्रधातुओं का गलनांक अधिक होता है, जिससे उच्च तापमान पर भी ये नहीं पिघलते और उपकरण सुरक्षित रहता है। इनकी विद्युत प्रतिरोधकता शुद्ध धातुओं से अधिक होती है, जिससे अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है और उपकरण बेहतर कार्य करता है। मिश्रधातुएं संक्षारण (जंग) के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं, जो उपकरणों का जीवनकाल बढ़ाती हैं। आमतौर पर इन उपकरणों में नाइक्रोम (निकल और क्रोमियम का मिश्रण) जैसी मिश्रधातुओं का प्रयोग किया जाता है। इन मिश्रधातुओं में तापमान बढ़ने पर प्रतिरोध में बहुत कम परिवर्तन होता है, जो उपकरण की कार्यक्षमता को स्थिर रखता है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तालिका 12.2 में दिए गए आँकड़ों के आधार पर दीजिए:

(a) आयरन (Fe) तथा मर्करी (Hg) में कौन अच्छा विद्युत चालक है?
(b) कौन-सा पदार्थ सर्वश्रेष्ठ चालक है ?

उत्तर-

(a) आयरन (Fe) और मर्करी (Hg) में से आयरन बेहतर विद्युत चालक है। आयरन का विशिष्ट प्रतिरोध 100 × 10⁻⁸ Ω·m है, जो मर्करी के विशिष्ट प्रतिरोध 960 × 10⁻⁸ Ω·m से काफी कम है। विशिष्ट प्रतिरोध जितना कम होता है, चालकता उतनी ही अधिक होती है। इसलिए आयरन में विद्युत धारा का प्रवाह मर्करी की तुलना में लगभग 9.6 गुना आसान होता है।

(b) तालिका में दिए गए सभी पदार्थों में सिल्वर (Ag) सर्वश्रेष्ठ चालक है, क्योंकि इसका विशिष्ट प्रतिरोध मात्र 1.60 × 10⁻⁸ Ω·m है। यह अन्य सभी धातुओं से कम है, जिससे सिल्वर में विद्युत धारा सबसे आसानी से प्रवाहित होती है। यही कारण है कि उच्च गुणवत्ता वाले विद्युत उपकरणों में अक्सर सिल्वर का उपयोग किया जाता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या- 205)

प्रश्न 1. किसी विद्युत परिपथ का व्यवस्था आरेख खींचिए जिसमें 2V के तीन सेलों की बैटरी, एक 52 प्रतिरोधक, एक 82 प्रतिरोधक, एक 122 प्रतिरोधक तथा एक प्लग कुंजी सभी श्रेणीक्रम में संयोजित हों ।

उत्तर-

प्रश्न 2. प्रश्न 1 का परिपथ दुबारा खींचिए तथा इसमें प्रतिरोधकों से प्रवाहित विद्युत धारा को मापने के लिए ऐमीटर तथा 120 के प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर लगाइए । ऐमीटर तथा वोल्टमीटर के क्या पाठ्यांक होंगे?

उत्तर-

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या- 208)

प्रश्न 1. जब (a) 1 Ω तथा 10⁶ Ω (b) 1 Ω, 10³ Ω तथा 10⁶ Ω के प्रतिरोध श्रेणीक्रम में संयोजित किए जाते हैं तब इनके तुल्य प्रतिरोध के संबंध में आप क्या निष्कर्ष देंगे?

उत्तर-

(a) जब 1 Ω और 10⁶ Ω के प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में जुड़े होते हैं, तो कुल प्रतिरोध = 1 Ω + 10⁶ Ω = 1,000,001 Ω होगा। यहाँ कुल प्रतिरोध लगभग 10⁶ Ω माना जा सकता है, क्योंकि 1 Ω की तुलना में 10⁶ Ω बहुत बड़ा है।

(b) 1 Ω, 10³ Ω और 10⁶ Ω के श्रेणीक्रम संयोजन में कुल प्रतिरोध = 1 Ω + 1,000 Ω + 1,000,000 Ω = 1,001,001 Ω होगा। इस स्थिति में भी सबसे बड़ा प्रतिरोध (10⁶ Ω) कुल प्रतिरोध का लगभग 99.9% हिस्सा है। यह दर्शाता है कि श्रेणीक्रम संयोजन में, जब प्रतिरोधों के मान में बहुत अधिक अंतर हो, तो सबसे बड़ा प्रतिरोध ही तुल्य प्रतिरोध को मुख्य रूप से निर्धारित करता है।

प्रश्न 2. 100 Ω का एक विद्युत बल्ब, 50 Ω का एक विद्युत टोस्टर तथा 500 Ω का एक रेडियो 220 V के विद्युत स्रोत के एक पावरबोर्ड में श्रेणीक्रम से जुड़ा विद्युत बल्ब का प्रतिरोध बढ़ने से, जिसे वह समान मात्रा में उष्मा संप्रेषित कर रहा हो तब विद्युत धारा घट जाती है और किन्हीं तीनों युक्तियों (डिवाइस) में से बल्ब की वोल्टता घट जाती है। इसके लिए विद्युत बोर्ड में प्रतिरोध विद्युत धारा का शोषण होता है?

उत्तर-

प्रश्न 3. श्रेणीक्रम में संयोजन के स्थान पर शस्त्र पर विद्युत युक्तियों को पार्श्वक्रम में संयोजित करने के क्या लाभ हैं?

उत्तर- घरों में विद्युत उपकरणों को पार्श्वक्रम में जोड़ने के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं। सबसे पहला लाभ यह है कि प्रत्येक उपकरण को मुख्य स्रोत से समान विभवांतर (वोल्टता) प्राप्त होता है, जिससे सभी उपकरण अपनी निर्धारित क्षमता के अनुसार कार्य कर सकते हैं। दूसरा प्रमुख लाभ यह है कि किसी एक उपकरण के खराब होने या बंद होने पर अन्य उपकरण स्वतंत्र रूप से कार्य करते रहते हैं, जैसे एक बल्ब के फ्यूज होने पर अन्य उपकरण चलते रहते हैं। तीसरा, पार्श्वक्रम में प्रत्येक उपकरण अपनी आवश्यकता के अनुसार धारा ले सकता है, जैसे पंखा कम धारा और गीजर अधिक धारा। इसके अतिरिक्त, पार्श्वक्रम में कुल प्रतिरोध कम होता है, जिससे विद्युत आपूर्ति अधिक कुशल होती है। यह व्यवस्था घरेलू विद्युत उपकरणों के लिए सबसे उपयुक्त और सुरक्षित है।

प्रश्न 4. 2 Ω, 3 Ω तथा 6 Ω ये तीन प्रतिरोध श्रेणीक्रम में किस प्रकार संयोजित किए जायें कि कुल प्रतिरोध (a) 4 Ω, (b) 9 Ω प्राप्त हो?

उत्तर-

प्रश्न 5. यदि 8 Ω, 12 Ω तथा 24 Ω प्रतिरोधों को समानांतर क्रम संयोजन द्वारा विद्युत धारा को संचालित कर (a) अधिकतम, (b) निम्नतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके?

उत्तर-

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या- 211)

प्रश्न 1. किसी विद्युत हीटर की डोरी क्यों उत्तप्त नहीं होती जबकि उसका तापन अवयव उत्तप्त हो जाता है?\

उत्तर- विद्युत हीटर की डोरी में प्रतिरोध बहुत कम होता है, जबकि तापन अवयव (हीटिंग एलिमेंट) का प्रतिरोध बहुत अधिक होता है। ऊष्मीय उत्पादन का सूत्र H = I²Rt के अनुसार, जब विद्युत धारा (I) उच्च प्रतिरोध (R) वाले तापन अवयव से गुजरती है, तो अधिक ऊष्मा उत्पन्न होती है। चूंकि डोरी का प्रतिरोध बहुत कम होता है, इसलिए उसमें नगण्य ऊष्मा उत्पन्न होती है और वह गरम नहीं होती।

प्रश्न 2. एक घंटे में 50 W विभवांतर से 96000 कूलॉम आवेश को स्थानांतरित करने में उत्पन्न ऊष्मा पर कीजिए|

उत्तर-

प्रश्न 3. 20 Ω प्रतिरोध की कोई विद्युत इष्टि 5 A विद्युत धारा लेती है। 30 s में ऊष्मा परिकलित कीजिए।

उत्तर-

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या- 213)

प्रश्न 1. विद्युत धारा द्वारा प्रदत्त ऊर्जा की दर का निर्धारण कैसे किया जाता है?

उत्तर- विद्युत धारा द्वारा प्रति सेकंड उपयोग की गई ऊर्जा को विद्युत शक्ति कहते हैं, जिसे वाट (W) में मापा जाता है। विद्युत शक्ति का सूत्र P = V × I है, जहाँ V विभवांतर (वोल्ट में) और I धारा (एम्पियर में) है। इस सूत्र का दूसरा रूप P = I²R भी है, जहाँ R प्रतिरोध (ओम में) है। उदाहरण के लिए, यदि 220 वोल्ट पर 2 एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है, तो शक्ति 440 वाट होगी।

प्रश्न 2. कोई विदयुत मोटर 220 V के विद्युत स्त्रोत से 5.0 A विद्युत धारा लेता हैं। मोटर की शक्ति निर्धार तथा 2 घंटे में मोटर द्वारा उपभुक्त ऊर्जा परिकलित कीजिए |

उत्तर-

अभ्यास

प्रश्न 1. प्रतिरोध R के किसी तार के टुकड़े को पाँच बराबर भागों में काटा जाता हैं। इन टुकड़ों को फिर पार्श्वक्रम संयोजित कर देते हैं। यदि संयोजन का तुल्य प्रतिरोध R’ हैं तो R/R’ अनुपात का मान क्या है-

(a) 1/25
(b) 1/5
(c) 5
(d) 25

उत्तर- (d) 25

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन – सा पद विद्युत परिपथ में विद्युत शक्ति को निरूपित नहीं करता?

(a) I2R
(b) IR2
(c) VI
(d) V2/R

उत्तर- (b) IR2

प्रश्न 3. किसी विद्युत बल्ब का अनुमंताक 220 V : 100 W है । जब इसे 110 V पर प्रचालित करते हैं तब इसके द्वारा उपभुक्त शक्ति कितनी होती है?

(a) 100W
(b) 75W
(c) 50W
(d) 25W

उत्तर- (d) 25W

प्रश्न 4. दो चालक तार जिनके पदार्थ, लम्बाई तथा व्यास समान हैं किसी विद्युत परिपथ में पहले श्रेणीक्रम में और फिर पार्श्वक्रम में संयोजित किये जाते हैं। श्रेणीक्रम तथा पार्श्वक्रम संयोजन में उत्पन्न ऊष्माओं का अनुपात क्या होगा?

(a) 1:2
(b) 2:1
(c) 1:4
(d) 4:1

उत्तर- (c) 1:4

प्रश्न 5. किसी विद्युत परिपथ में दो बिंदुओं के बीच विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को किस प्रकार संयोजित किया जाता है?

उत्तर- विद्युत परिपथ में विभवांतर मापने के लिए वोल्टमीटर को उन दो बिंदुओं के बीच समानांतर क्रम में जोड़ा जाता है। वोल्टमीटर का धनात्मक टर्मिनल उच्च विभव वाले बिंदु से और ऋणात्मक टर्मिनल निम्न विभव वाले बिंदु से जुड़ता है। वोल्टमीटर में उच्च प्रतिरोध होता है, जिससे परिपथ की मुख्य धारा प्रभावित नहीं होती।

प्रश्न 6. किसी ताँबे के तार का व्यास 0.5mm तथा प्रतिरोधकता 1.6 x 10m है। 102 प्रतिरोध का प्रतिरोधक बनाने के लिए कितने लम्बे तार की आवश्यकता होगी? यदि इससे दोगुने व्यास का तार ले तो प्रतिरोध में क्या अंतर आएगा?

उत्तर-

प्रश्न 7. किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवांतर V के विभिन्न मानों के लिए उससे प्रवाहित विद्युत धाराओं के संगत मान आगे दिए गए हैं.

उत्तर-

प्रश्न 8. किसी अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक के सिरों से 12V की बैट्री को संयोजित करने पर परिपथ में 2.5mA विद्युत धारा प्रवाहित होती है। प्रतिरोधक का प्रतिरोध परिकलित कीजिए।

उत्तर-

प्रश्न 9. 9V की किसी बैट्री को 0.2Ω, 0.3Ω, 0.4Ω, 0.5Ω तथा 12Ω के प्रतिरोधकों के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया | जाता है। 122 के प्रतिरोधक से कितनी विद्युत धारा प्रवाहित होगी?

उत्तर-

प्रश्न 10. 176Ω प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करें कि 220V के विद्युत स्रोत से संयोजन से 5A विद्युत धारा प्रवाहित हो? ।

उत्तर- माना कि 176Ω प्रतिरोध वाले n प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित किए गए हैं।
अतः तुल्य प्रतिरोध (Rp) का मान होगा-

प्रश्न 11. यह दर्शाइए कि आप 62 प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध

(i) 9Ω
(ii) 4Ω हो।

उत्तर-

(ii) 4Ω कुल प्रतिरोध प्राप्त करने के लिए निम्न आकृति के अनुसार।
6Ω के तीन प्रतिरोधकों को संयोजित करेंगे।
6Ω वाले दो प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में तथा शेष बचे एक प्रतिरोध A क को पाश्र्वक्रम में।

प्रश्न 12. 220V की विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10W है। यदि 220V लाइन से अनुमन अधिकतम विद्युतधारा 5A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पाश्र्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?

उत्तर- दिया है, प्रत्येक बल्ब की शक्ति P = 10W और वोल्टता V=220V है।

प्रश्न 13. किसी विद्युत भट्टी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियाँ A तथा B की बनी हैं, जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध 24W है तथा इन्हें पृथक-पृथक, श्रेणीक्रम में अथवा पाश्र्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जाता है। यदि यह भट्टी 220V विद्युत स्रोत से संयोजित की जाती है, तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत धाराएँ क्या हैं?

उत्तर-

प्रश्न 14. निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में 2Ω प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए। (i) 6V की बैट्री से संयोजित 1Ω तथा 2Ω श्रेणीक्रम संयोजन (ii) 4V बैट्री से संयोजित 12Ω तथा 2Ω का पार्श्वक्रम संयोजन।

उत्तर-

प्रश्न 15. दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100W, 220V तथा दूसरे का 60W, 220V है, विद्युत मेन्स के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित हैं। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220V है, तो विद्युत मेन्स से कितनी धारा ली जाती है?

उत्तर-

प्रश्न 16. किसमें अधिक विद्युत ऊर्जा उपभुक्त होती हैं-250W का टी.वी. सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा 120w का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?

उत्तर-

प्रश्न 17. 18Ω प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेन्स से 2 घंटे तक 15A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न ऊष्मा की दर परिकलित कीजिए।

उत्तर-

प्रश्न 18. निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए

(a) विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्रायः एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर- टंगस्टन का गलनांक बहुत उच्च (3380°C) होता है, जो इसे उच्च तापमान पर भी स्थिर रखता है। इसका प्रतिरोध भी अधिक होता है, जो अधिक ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करने में सहायक है। टंगस्टन की यांत्रिक मजबूती इसे लंबे समय तक उपयोग करने योग्य बनाती है। साथ ही, यह वाष्पीकरण की कम दर और उच्च दक्षता प्रदान करता है।

(b) विद्युत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड-टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्र धातुओं (मिश्रातुओं) के क्यों बनाए जाते हैं?

उत्तर- मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता शुद्ध धातुओं से अधिक होती है, जो बेहतर ताप उत्पादन सुनिश्चित करती है। ये उच्च तापमान पर भी ऑक्सीकरण का कम प्रतिरोध करती हैं और उनकी प्रतिरोधकता तापमान के साथ लगभग स्थिर रहती है। मिश्र धातुएं मजबूत होती हैं और लंबे समय तक चलती हैं। इनकी उच्च प्रतिरोधकता कम धारा में भी पर्याप्त ऊष्मा उत्पन्न करती है।

(c) घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?

उत्तर- श्रेणीक्रम संयोजन में सभी उपकरणों में समान धारा प्रवाहित होती है, जो विभिन्न क्षमता वाले उपकरणों के लिए अनुपयुक्त है। एक उपकरण के खराब होने पर पूरा परिपथ बंद हो जाता है। श्रेणीक्रम में कुल विभवांतर उपकरणों में विभाजित हो जाता है, जिससे प्रत्येक उपकरण को आवश्यक विभवांतर नहीं मिल पाता। कुल प्रतिरोध बढ़ने से धारा कम हो जाती है, जो उपकरणों के सामान्य कार्य को प्रभावित करती है।

(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?

उत्तर- किसी तार का प्रतिरोध (R) उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात R ∝ 1/A। जैसे-जैसे तार का व्यास बढ़ता है, उसका क्षेत्रफल बढ़ता है और प्रतिरोध कम होता जाता है। यह संबंध R = ρl/A से दर्शाया जाता है, जहाँ ρ विशिष्ट प्रतिरोध और l तार की लंबाई है। यह सिद्धांत विद्युत तारों के चयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

(e) विद्युत संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?

उत्तर- कॉपर और एल्युमिनियम की प्रतिरोधकता बहुत कम होती है (क्रमशः 1.68×10⁻⁸ Ω-m और 2.65×10⁻⁸ Ω-m)। ये धातुएं आसानी से उपलब्ध हैं और अपेक्षाकृत सस्ती हैं। इनकी लचीली प्रकृति इन्हें तार के रूप में आसानी से ढालने में मदद करती है। कम प्रतिरोधकता के कारण ऊर्जा की हानि कम होती है, जो लंबी दूरी के संचारण में महत्वपूर्ण है। एल्युमिनियम का कम घनत्व इसे ऊँचे खंभों पर उपयोग के लिए उपयुक्त बनाता है।

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