MP Board Class 10 Science Chapter 2 Solutions – अम्ल, क्षारक एवं लवण

MP Board class 10 Science chapter 2 solutions are available here. It covers all question answers for Vigyan chapter 2 – “अम्ल, क्षारक एवं लवण” in hindi medium.

अम्ल, क्षारक एवं लवण हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नींबू में पाया जाने वाला खट्टा स्वाद, साबुन का फिसलन, या नमक का खारापन – ये सभी इन्हीं पदार्थों के कारण होता है। इस अध्याय में आप सीखेंगे कि अम्ल और क्षार क्या होते हैं, इनकी प्रकृति कैसी होती है, और ये आपस में किस प्रकार अभिक्रिया करके लवण बनाते हैं। साथ ही आप pH मान, सूचक पदार्थों और इनके विभिन्न उपयोगों के बारे में भी जानेंगे।

MP Board class 10 Science chapter 2

MP Board Class 10 Science Chapter 2 Solutions

SubjectScience (विज्ञान)
Class6th
Chapter2. अम्ल, क्षारक एवं लवण
BoardMP Board

अध्ययन के बीच वाले प्रश्न

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-20)

प्रश्न 1. आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारीय विलयन है। यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे ?

उत्तर- तीनों विलयनों की पहचान के लिए निम्न क्रम में परीक्षण करें:-

  1. सबसे पहले प्रत्येक विलयन की एक बूंद लाल लिटमस पर डालें – जो विलयन लाल लिटमस को नीला करता है, वह क्षारीय विलयन है।
  2. शेष दो विलयनों में से एक-एक बूंद को पहले पहचाने गए क्षारीय विलयन के साथ मिलाएं और लाल लिटमस से परीक्षण करें।
  3. जिस विलयन का मिश्रण क्षार के साथ नीला रहता है, वह आसवित जल है, क्योंकि इसमें कोई अम्लीय गुण नहीं है।
  4. जिस विलयन का मिश्रण क्षार के साथ लाल हो जाता है, वह अम्लीय विलयन है, क्योंकि अम्ल और क्षार उदासीनीकरण करके लवण और जल बनाते हैं (H⁺ + OH⁻ → H₂O)।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-24)

प्रश्न 1. पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?

उत्तर- पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही और खट्टे पदार्थ नहीं रखने चाहिए क्योंकि इन पदार्थों में उपस्थित लैक्टिक अम्ल इन धातुओं से रासायनिक अभिक्रिया करता है। इस अभिक्रिया से विषैले लवण जैसे कॉपर लैक्टेट और जिंक लैक्टेट बनते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। जब तांबा लैक्टिक अम्ल से अभिक्रिया करता है तो विषैला कॉपर लैक्टेट बनता है (2Cu + 4CH₃COOH → 2Cu(CH₃COO)₂ + H₂)। इसी प्रकार पीतल में उपस्थित जस्ता भी अम्लों से क्रिया करके हानिकारक जिंक लवण बनाता है। इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से इन खाद्य पदार्थों को स्टेनलेस स्टील, कांच या खाद्य-ग्रेड प्लास्टिक के बर्तनों में रखना चाहिए क्योंकि ये पदार्थ अम्लों से अभिक्रिया नहीं करते हैं।

प्रश्न 2. धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन सी गैस निकलती है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए | इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे?

उत्तर- धातु और अम्ल की अभिक्रिया से सामान्यतः हाइड्रोजन (H₂) गैस निकलती है। उदाहरण के लिए, जब जिंक धातु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल से क्रिया करती है, तो जिंक क्लोराइड और हाइड्रोजन गैस बनती है (Zn + 2HCl → ZnCl₂ + H₂↑)। हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति की जाँच दो तरीकों से की जा सकती है – पहला तरीका है जलती हुई मोमबत्ती को गैस के पास ले जाना, जिससे “पॉप” की आवाज के साथ गैस जलती है (2H₂ + O₂ → 2H₂O)। दूसरा तरीका है गैस को साबुन के घोल में से प्रवाहित करना, जिससे बने बुलबुले जलती मोमबत्ती के संपर्क में आने पर “पॉप” की आवाज के साथ जलते हैं। चूँकि हाइड्रोजन एक अत्यधिक ज्वलनशील गैस है, इसलिए इन परीक्षणों को बहुत सावधानी से करना चाहिए।

प्रश्न 3. कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है | इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है। यदि उत्पन्न यौगिकों में से एक कैल्शियम क्लोराइड हैं, तो इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए |

उत्तर- दिए गए प्रश्न में धातु यौगिक ‘A’ कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) है जो तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न करता है। यह गैस पानी में घुलकर कार्बोनिक अम्ल बनाती है और जलती मोमबत्ती को बुझा देती है क्योंकि यह दहन में सहायक नहीं है।

इस अभिक्रिया का संतुलित रासायनिक समीकरण है: CaCO₃ (ठोस) + 2HCl (जलीय) → CaCl₂ (जलीय) + H₂O (तरल) + CO₂ (गैस)

कार्बोनेट लवणों की अम्ल के साथ यह अभिक्रिया एक अभिलाक्षणिक परीक्षण है जिसका उपयोग कार्बोनेट खनिजों की पहचान में किया जाता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-27)

प्रश्न 1. HCI, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐलकोहॉल एवं ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं?

उत्तर- HCl और HNO₃ जैसे अम्ल जल में घुलकर H⁺ आयन (H₃O⁺) उत्पन्न करते हैं, जो अम्लीय गुण प्रदर्शित करते हैं (जैसे: HCl + H₂O → H₃O⁺ + Cl⁻)। दूसरी ओर, ऐल्कोहॉल और ग्लूकोज़ में OH समूह होने पर भी ये जल में H⁺ आयन नहीं बनाते क्योंकि इनकी संरचना में OH समूह मजबूती से बंधा होता है। इसलिए ये यौगिक अम्लीय व्यवहार नहीं दिखाते हैं।

प्रश्न 2. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विदयत का चालन करता है?

उत्तर- अम्ल का जलीय विलयन विद्युत का चालन इसलिए करता है क्योंकि इसमें स्वतंत्र रूप से गतिशील धनात्मक हाइड्रोजन आयन (H⁺) और ऋणात्मक आयन (जैसे Cl⁻, NO₃⁻) होते हैं। विद्युत क्षेत्र में धनात्मक आयन कैथोड की ओर और ऋणात्मक आयन एनोड की ओर गति करते हैं, जिससे विद्युत धारा प्रवाहित होती है।

प्रश्न 3. शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है ?

उत्तर- शुष्क HCl गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती क्योंकि इसमें मुक्त H⁺ आयन नहीं होते। HCl अणु में हाइड्रोजन और क्लोरीन सहसंयोजी बंध से जुड़े होते हैं। जल की उपस्थिति में ही HCl H⁺ और Cl⁻ आयनों में विघटित होती है और अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 4. अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H30+) की सांद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है?

उत्तर- अम्ल के विलयन को तनुकृत करने पर H₃O⁺ आयनों की सांद्रता कम हो जाती है क्योंकि विलयन का आयतन बढ़ने से प्रति इकाई आयतन में H₃O⁺ आयनों की संख्या कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, 1M HCl को 10 गुना तनु करने पर H₃O⁺ की सांद्रता 0.1M हो जाती है। इससे विलयन का pH बढ़ता है और अम्लीयता कम हो जाती है।

प्रश्न 5. जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?

उत्तर- जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) विलयन में अतिरिक्त क्षारक मिलाया जाता है, तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) की सांद्रता बढ़ जाती है। यह इसलिए होता है क्योंकि NaOH जल में पूर्णतः आयनित होकर Na⁺ और OH⁻ आयन बनाता है (NaOH → Na⁺ + OH⁻)। जितना अधिक NaOH मिलाया जाएगा, उतने ही अधिक OH⁻ आयन विलयन में उपस्थित होंगे। इससे विलयन का pH मान बढ़ जाता है और विलयन अधिक क्षारीय हो जाता है। इस प्रकार OH⁻ आयनों की बढ़ी हुई सांद्रता विलयन को अधिक क्षारीय बनाती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-31)

प्रश्न 1. आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं। विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का 8 है। सिविलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय?

उत्तर- विलयन ‘A’ में हाइड्रोजन आयन (H⁺) की सांद्रता अधिक है, क्योंकि इसका pH मान (6) कम है। pH मान और H⁺ सांद्रता में विपरीत संबंध होता है – जितना कम pH, उतनी अधिक H⁺ सांद्रता। विलयन ‘A’ में H⁺ की सांद्रता 10⁻⁶ मोल/लीटर है, जबकि विलयन ‘B’ में 10⁻⁸ मोल/लीटर है। विलयन ‘A’ अम्लीय है (pH < 7) और विलयन ‘B’ क्षारीय है (pH > 7)।

प्रश्न 2. H+ (aq) आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर- H⁺ आयन की सांद्रता विलयन की अम्लीय प्रकृति को दर्शाती है। जब H⁺ आयनों की सांद्रता बढ़ती है, तब विलयन अधिक अम्लीय हो जाता है और उसका pH मान घटता जाता है। शुद्ध जल में H⁺ की सांद्रता 10⁻⁷ मोल/लीटर होती है, जिससे pH 7 (उदासीन) होता है। 10⁻⁷ मोल/लीटर से अधिक H⁺ सांद्रता विलयन को अम्लीय बनाती है, जबकि कम सांद्रता क्षारीय।

प्रश्न 3. क्या क्षारकीय विलयन में H+ (aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होते हैं?

उत्तर- हाँ, क्षारीय विलयन में भी H⁺ आयन होते हैं, लेकिन बहुत कम मात्रा में। क्षारीय विलयन में हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) की सांद्रता, H⁺ आयनों से अधिक होती है। जल का स्व-आयनन (H₂O ⇌ H⁺ + OH⁻) हमेशा कुछ H⁺ आयन उत्पन्न करता है। OH⁻ आयनों की अधिकता के कारण ही विलयन क्षारीय होता है।

प्रश्न 4. कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्शियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्शियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?

उत्तर- किसान इन चूना उत्पादों का उपयोग अम्लीय मिट्टी (pH < 7) के उपचार के लिए करता है। बिना बुझा चूना (CaO) अत्यधिक अम्लीय मिट्टी के लिए, बुझा हुआ चूना (Ca(OH)₂) मध्यम अम्लीय मिट्टी के लिए, और चॉक (CaCO₃) हल्की अम्लीय मिट्टी के लिए प्रयोग किया जाता है। ये यौगिक मिट्टी का pH संतुलित करने के साथ-साथ पौधों के लिए आवश्यक कैल्शियम भी प्रदान करते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-36)

प्रश्न 1. CaOCI2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?

उत्तर- CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम ब्लीचिंग पाउडर या विरंजक चूर्ण है। यह एक सफेद पाउडर है जिसका उपयोग कपड़ों को सफेद करने, पानी को शुद्ध करने तथा कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है। इसका रासायनिक नाम कैल्शियम ऑक्सीक्लोराइड है।

प्रश्न 2. उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है|

उत्तर- बुझा हुआ चूना [Ca(OH)2] क्लोरीन गैस से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है। रासायनिक समीकरण: Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O

प्रश्न 3. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है ?

उत्तर- कठोर जल को मृदु करने के लिए वॉशिंग सोडा या सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) का उपयोग किया जाता है। यह कठोर जल में मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम के घुलनशील लवणों को अघुलनशील कार्बोनेट में बदल देता है, जो नीचे बैठ जाते हैं।

प्रश्न 4. सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा?समीकरण लिखिए |इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए |

उत्तर- सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट (खाने का सोडा) को गर्म करने पर यह सोडियम कार्बोनेट में बदल जाता है और साथ में पानी तथा कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है। रासायनिक समीकरण: 2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2

प्रश्न 5. प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।

उत्तर- प्लास्टर ऑफ पेरिस (कैल्शियम सल्फेट हेमीहाइड्रेट) जल के साथ क्रिया करके जिप्सम (कैल्शियम सल्फेट डाइहाइड्रेट) बनाता है। रासायनिक समीकरण: CaSO4·½H2O + 1½H2O → CaSO4·2H2O। यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी है और इसमें मिश्रण कठोर हो जाता है, इसीलिए इसका उपयोग टूटी हड्डियों के प्लास्टर में किया जाता है।

अभ्यास

प्रश्न 1. कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभवतः क्या होगा ?

(a) 1
(b) 4
(c) 5
(d) 10

उत्तर- (d) 10

प्रश्न 2. कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी दूध देती है। इस विलयन में क्या होगा ?

(a) NaCl
(b) HCI
c) LiCl
(d) KCI

उत्तर- (b) HCI

प्रश्न 3. NaOH का 10 mL विलयन के 8 mL विलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH उसी विलयन का 20 mL लें तो इसे उदासीन करने के लिए HCI के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?

(a) 4 mL
(b) 8 mL
(c) 12mL
(d) 16mL

उत्तर- (d) 16 mL

प्रश्न 4. अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस औषधि का उपयोग होता है?

(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) एनालजेसिक (पीड़ाहरी)
(c) ऐन्टैसिड
(d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)

उत्तर- (c) ऐन्टैसिड

प्रश्न 5. निम्न अभिक्रिया के लिए पहले शब्द- समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण लिखिए:-

(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल एल्यूमीनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लोहे के रेतन के साथ अभिक्रिया करता है।

उत्तर-

(a) जिंक + सल्फ्यूरिक अम्ल → जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन
Zn (s) + H₂SO₄ (aq) → ZnSO₄ (aq) + H₂ (g)
(b) मैग्नीशियम + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → मैग्नीशियम क्लोराइड + हाइड्रोजन
Mg (s) + 2HCl (aq) → MgCl₂ (aq) + H₂ (g)
(c) एल्यूमीनियम + सल्फ्यूरिक अम्ल → एल्यूमीनियम सल्फेट + हाइड्रोजन
2Al (s) + 3H₂SO₄ (aq) → Al₂(SO₄)₃ (aq) + 3H₂ (g)
(d) लोहा + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → आयरन (II) क्लोराइड + हाइड्रोजन
Fe (s) + 2HCl (aq) → FeCl₂ (aq) + H₂ (g)

प्रश्न 6. एल्कोहॉल और ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए |

उत्तर- इसे एक सरल प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है: तीन अलग बीकर में HCl, एल्कोहॉल और ग्लूकोज का विलयन लें। प्रत्येक बीकर में दो कार्बन इलेक्ट्रोड डालें जो एक बैटरी, बल्ब और स्विच से जुड़े हों। केवल HCl के विलयन में बल्ब जलेगा क्योंकि यह H⁺ आयन बनाता है, जबकि एल्कोहॉल और ग्लूकोज में हाइड्रोजन परमाणु आयनीकृत नहीं होते हैं। इसलिए एल्कोहॉल और ग्लूकोज अम्ल नहीं हैं।

प्रश्न 7. आसवित जल विद्युत् का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है?

उत्तर- आसवित जल शुद्ध H2O अणुओं से बना होता है जिसमें कोई आयन नहीं होते, इसलिए यह विद्युत का चालन नहीं करता। वर्षा जल में वायुमंडलीय CO2 घुलकर H+ और HCO3- आयन बनाता है। इसके अतिरिक्त, वर्षा जल में धूल कणों और अन्य घुले हुए लवणों से प्राप्त आयन भी होते हैं। ये सभी आयन वर्षा जल को विद्युत का सुचालक बनाते हैं।

प्रश्न 8. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?

उत्तर- अम्ल के अम्लीय गुण H+ आयनों के कारण होते हैं जो केवल जलीय विलयन में बनते हैं। जल अणु अम्ल से क्रिया कर उसे आयनित करता है, जैसे HCl + H2O → H3O+ + Cl-। शुष्क अवस्था में अम्ल अणु आयनित नहीं होते और H+ आयन नहीं बनाते, इसलिए अम्लीय गुण प्रदर्शित नहीं करते। यही कारण है कि नीला लिटमस कागज़ सूखे HCl गैस से लाल नहीं होता।

प्रश्न 9. पाँच विलयनों A, B, C, D वE की जब सार्वत्रिक सूचक से जाँच की जाती है तो pH के मान क्रमश: 4, 1, 11, 7 एवं 9 प्राप्त होते हैं। कौन विलयन

उत्तर- (a) विलयन D ( pH का मान 7 ) उदासीन है |
(b) विलयन C ( pH का मान 11 ) प्रबल क्षारीय है ।
(c) विलयन B ( pH का मान 1) प्रबल अम्लीय है ।
(d) विलयन A (pH) का मान 4 ) दुर्बल अम्लीय है |
(e) विलयन E (pH का मान 9) दुर्बल क्षारीय है

उत्तर- (1 < 4 < 7 < 9 < 11)

प्रश्न 10. परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए | परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) तथा परखनली ‘B’ में एसिटिक अम्ल (CH, COOH) डालिए | दोनों अम्लों की मात्रा तथा सांद्रता समान हैं। किस परखनली में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों ?

उत्तर- परखनली ‘A’ में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होगी क्योंकि HCl एक प्रबल अम्ल है जो जल में 100% आयनित होकर अधिक H⁺ आयन देता है। CH₃COOH एक दुर्बल अम्ल है जो आंशिक रूप से ही आयनित होता है, इसलिए कम H⁺ आयन देता है। अभिक्रिया: Mg + 2HCl → MgCl₂ + H₂↑। अधिक H⁺ आयनों के कारण मैग्नीशियम से अभिक्रिया तीव्र होगी और हाइड्रोजन गैस तेजी से निकलेगी।

प्रश्न 11. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा ? अपना उत्तर समझाइए |

उत्तर- दही बनने पर दूध का pH मान 6 से घटकर लगभग 4.5 हो जाता है। यह परिवर्तन लैक्टिक अम्ल बैक्टीरिया द्वारा दूध में उपस्थित लैक्टोज (दूध शर्करा) के लैक्टिक अम्ल में परिवर्तन के कारण होता है। रासायनिक समीकरण: C₁₂H₂₂O₁₁ (लैक्टोज) → 4CH₃CHOHCOOH (लैक्टिक अम्ल)। बढ़ी हुई अम्लीयता के कारण दूध का प्रोटीन (केसीन) जम जाता है और दही बन जाता है।

प्रश्न 12. एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।

(a) ताज़ा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है ?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?

उत्तर- (a) ग्वाला बेकिंग सोडा (NaHCO₃) मिलाकर दूध को क्षारीय बनाता है क्योंकि यह दूध की प्राकृतिक अम्लीयता को कम कर देता है। दूध में उपस्थित लैक्टिक अम्ल बैक्टीरिया क्षारीय माध्यम में सक्रिय नहीं होते, जिससे दूध के खट्टा होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इससे दूध लंबे समय तक खराब नहीं होता और ग्वाला अधिक समय तक दूध बेच सकता है। हालांकि यह एक अनुचित प्रथा है क्योंकि यह दूध की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
(b) क्षारीय माध्यम में दही बनने में अधिक समय लगता है क्योंकि लैक्टिक अम्ल बैक्टीरिया क्षारीय वातावरण में धीमी गति से वृद्धि करते हैं। बेकिंग सोडा द्वारा उत्पन्न OH⁻ आयन बैक्टीरिया द्वारा उत्पादित H⁺ आयनों को निष्प्रभावी कर देते हैं। दूध में जमाव (केसीन प्रोटीन का अवक्षेपण) तभी होता है जब माध्यम पर्याप्त अम्लीय हो जाए, इसलिए क्षारीय माध्यम में दही बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।

प्रश्न 13. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आद्र-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए। इसकी व्याख्या कीजिए |

उत्तर- प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO₄·½H₂O) को आद्र-रोधी बर्तन में रखना अनिवार्य है क्योंकि यह नमी के संपर्क में आकर जिप्सम (CaSO₄·2H₂O) में परिवर्तित हो जाता है। यह एक अपरिवर्तनीय रासायनिक अभिक्रिया है: CaSO₄·½H₂O + 1½H₂O → CaSO₄·2H₂O। जिप्सम बनने के बाद प्लास्टर ऑफ पेरिस के महत्वपूर्ण गुण जैसे कठोर होना और टूटी हड्डियों के लिए प्लास्टर बनाने की क्षमता समाप्त हो जाते हैं। आद्र-रोधी बर्तन में रखने से यह सूखा रहता है और अपने उपयोगी गुणों को बनाए रखता है। इसलिए इसे हमेशा वायुरुद्ध एवं नमी-रोधी डिब्बों में ही रखना चाहिए।

प्रश्न 14. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर- उदासीनीकरण अभिक्रिया वह रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें अम्ल और क्षार परस्पर क्रिया करके लवण और जल बनाते हैं। इस अभिक्रिया में अम्ल के H⁺ आयन और क्षार के OH⁻ आयन मिलकर H₂O बनाते हैं, जबकि अन्य आयन मिलकर लवण बनाते हैं। सामान्य समीकरण: अम्ल + क्षार → लवण + जल।

उदाहरण:-

HCl + NaOH → NaCl + H₂O
(हाइड्रोक्लोरिक अम्ल + सोडियम हाइड्रॉक्साइड → सोडियम क्लोराइड + जल)
आयनिक समीकरण: H⁺ + Cl⁻ + Na⁺ + OH⁻ → Na⁺ + Cl⁻ + H₂O

H₂SO₄ + 2KOH → K₂SO₄ + 2H₂O
(सल्फ्यूरिक अम्ल + पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड → पोटैशियम सल्फेट + जल)
आयनिक समीकरण: 2H⁺ + SO₄²⁻ + 2K⁺ + 2OH⁻ → 2K⁺ + SO₄²⁻ + 2H₂O

प्रश्न 15. धोने का सोडा और बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए ।

उत्तर- धोने का सोडा (Na₂CO₃·10H₂O) के प्रमुख उपयोग:-

  1. कपड़े धोने में: यह जल की स्थायी और अस्थायी कठोरता दूर करता है तथा Ca²⁺ और Mg²⁺ आयनों को अघुलनशील कार्बोनेट में बदल देता है, जिससे साबुन की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।
  2. काँच उद्योग में: यह सिलिका (SiO₂) के साथ मिलकर सोडा-चूना काँच बनाने में प्रयुक्त होता है। रासायनिक समीकरण: Na₂CO₃ + SiO₂ → Na₂SiO₃ + CO₂

बेकिंग सोडा (NaHCO₃) के प्रमुख उपयोग:-

  1. बेकरी उत्पादों में: यह गर्म करने पर CO₂ गैस उत्पन्न करता है (2NaHCO₃ → Na₂CO₃ + H₂O + CO₂), जो केक और बिस्कुट को फुलाने का काम करती है।
  2. अग्निशामक में: गर्म होने पर यह CO₂ गैस देता है जो आग को घेर लेती है और ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक देती है, जिससे आग बुझ जाती है।

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