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मध्य प्रदेश बोर्ड की कक्षा 6 की हिंदी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा भारती’ का आठवाँ अध्याय ‘संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास’ जयपाल तरंग द्वारा रचित एक रोचक एकांकी है। यह पाठ छात्रों को भारतीय संगीत, कला और संस्कृति के एक महत्वपूर्ण पहलू से परिचित कराता है। इस एकांकी के माध्यम से विद्यार्थी मुगल सम्राट अकबर के काल में प्रचलित कला और संस्कृति के प्रति सम्मान की भावना को समझेंगे। पाठ में स्वामी हरिदास जैसे महान संगीतज्ञ के जीवन और उनके शिष्य तानसेन के साथ उनके संबंध का वर्णन किया गया है।

MP Board Class 6 Hindi Bhasha Bharti Chapter 8
Contents
| Subject | Hindi ( Bhasha Bharti ) |
| Class | 6th |
| Chapter | 8. संगीत शिरोमणि स्वामी हरिदास |
| Author | जयपाल तरंग |
| Board | MP Board |
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए
(क) सम्राट अकबर के नौ रत्नों में से एक थे
(i) मोहन
(ii) तानसेन
(iii) रूपा
(iv) अल्लादीन।
उत्तर – (ii) तानसेन
(ख) दीपक को प्रज्ज्वलित करने वाला राग है
(i) दीपक राग
(ii) ठुमरी,
(iii) राग भैरवी
(iv) मियाँ मल्हार।
उत्तर – (i) दीपक राग
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(क) तानसेन के गुरु का नाम स्वामी हरिदास था।
(ख) अकबर ने स्वामी हरिदास को संगीत शिरोमणि की उपाधि प्रदान की।
(ग) रूपा ने मेघ मल्हार गाकर तानसेन के प्राणों की रक्षा की।
(घ) गुरु जी राजमहल में संगीत कभी नहीं सुना सकते।
बताइए, किसने किससे कहा
(क) “तानसेन ! यह हमारी खुशकिस्मती है कि हम इस मुल्क के बादशाह हैं।”
उत्तर – सम्राट अकबर ने तानसेन से
(ख) “क्या बहन को भाई पर तरस नहीं आता ? भाई के प्राणों की रक्षा बहन नहीं करेगी ?”
उत्तर – तानसेन ने अपनी गुरु बहन रूपा से
(ग) “तानसेन ! राजमहल का सम्मान और नवरत्नों में स्थान मिल जाना सदा सुखकारी नहीं होता।”
उत्तर – स्वामी हरिदास ने अपने शिष्य तानसेन से।
चार से पाँच वाक्यों में उत्तर दीजिए
(क) सम्राट अकबर किस पवित्र जमीन को सलाम करते हैं और क्यों?
उत्तर – सम्राट अकबर भारत की पवित्र भूमि को सलाम करते थे। उन्हें भारत की समृद्ध संस्कृति, विविधता और गहरी परंपराओं पर बहुत गर्व था। यह भूमि अपनी कला, संगीत, भाषाओं और ज्ञान परंपरा के लिए विश्व प्रसिद्ध है। अकबर भारत की इस विलक्षण संस्कृति से बहुत प्रभावित थे।
(ख) दीपक राग प्राणों को संकट में डाल सकता है, कारण बताइए।
उत्तर – दीपक राग एक ऐसा संगीत है जो गायक के शरीर में असाधारण गर्मी पैदा कर सकता है। इस राग को गाते समय गायक के शरीर में इतनी गर्मी आती है कि यह उसके प्राणों को खतरे में डाल सकती है। इसलिए इस राग को गाते समय मेघ मल्हार जैसे शीतल राग का उपयोग किया जाता है जो शरीर को ठंडा रखता है।
(ग) स्वामी हरिदास संगीत की शिक्षा को ‘समाज’ क्यों | कहते थे?
उत्तर – स्वामी हरिदास संगीत को समाज से जोड़ते थे क्योंकि उनका संगीत लोगों के दिलों को छूता था। उनका मानना था कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने का माध्यम है। वे संगीत को भगवान को समर्पित करते थे, न कि अपनी प्रसिद्धि के लिए।
(घ) दीपक राग सुनने के पीछे सम्राट् का क्या भाव था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – अकबर तानसेन और उनके गुरु स्वामी हरिदास को अपने दरबार में सम्मानित करना चाहते थे। वे हरिदास की संगीत कला और भक्ति की परीक्षा लेना चाहते थे। हालांकि, स्वामी हरिदास ने कभी राजदरबार में स्वार्थ के लिए संगीत नहीं गाया, वे हमेशा भगवान कृष्ण को समर्पित गाते रहे।
(ङ) तानसेन और स्वामी हरिदास के गायन में मुख्य अन्तर क्या था ?
उत्तर – तानसेन को राजदरबार में गाना पड़ता था और उनका संगीत राजा की इच्छा पर निर्भर था। वहीं स्वामी हरिदास पूरी तरह से स्वतंत्र थे और वे केवल भगवान कृष्ण के लिए गाते थे। तानसेन का संगीत पराधीन था, जबकि हरिदास का संगीत पूर्णतः स्वाधीन और भक्ति से भरा।
सोचिए और बताइए
(क) तानसेन ने अपने गुरु को अन्तर्यामी क्यों कहा?
उत्तर – तानसेन अपने गुरु स्वामी हरिदास से बहुत परेशान थे। अकबर ने उनसे दीपक राग गाने को कहा था, जो एक बहुत कठिन राग है। तानसेन को समस्या यह थी कि दीपक राग को सही तरीके से गाने के लिए मेघ मल्हार राग भी आवश्यक था। उन्होंने महसूस किया कि केवल उनके गुरु ही उनकी परेशानी को समझ सकते हैं। इसलिए उन्होंने अपने गुरु को अन्तर्यामी (सर्वज्ञ) कहा, जो उनके मन की हर बात जानते हैं।
(ख) अकबर ने सम्राट होते हुए स्वयं को बदकिस्मत क्यों कहा?
उत्तर – अकबर स्वामी हरिदास के संगीत को सुनना चाहते थे, लेकिन वे सीधे उनके पास नहीं जा सकते थे। उन्होंने तानसेन की मदद से एक योजना बनाई, लेकिन उसमें बाधा आई। अकबर ने महसूस किया कि उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पाएगी। इसलिए उन्होंने खुद को बदकिस्मत कहा क्योंकि वे स्वामी हरिदास का संगीत सुनने से वंचित रह गए। यह उनके लिए बड़ा निराशाजनक क्षण था।
(ग) अकबर ने स्वामी हरिदास के संगीत को ‘जन्नत का संगीत’ क्यों कहा है ?
उत्तर – स्वामी हरिदास का संगीत बहुत ही अद्भुत और भावपूर्ण था। अकबर और तानसेन ने उनके संगीत को सेवक के वेश में सुना, जिससे उन्हें संगीत की गहराई का अनुभव हुआ। उनके संगीत में इतनी शक्ति थी कि श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव डालता था। अकबर ने महसूस किया कि ऐसा संगीत स्वर्ग (जन्नत) के संगीत जैसा है। इसलिए उन्होंने स्वामी हरिदास के संगीत को ‘जन्नत का संगीत’ कहा।
भाषा की बात
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए और लिखिए
दृश्य, यशस्वी, सम्राट, वृन्दावन, भैरवी, सिद्धि।
उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करे।
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध रूप लिखिए
(1) अन्तयामी, (2) निमनत्रण, (3) प्रतिक्छा, (4) संमान।
उत्तर – अन्तर्यामी
निमन्त्रण
प्रतीक्षा
सम्मान
प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों में विशेषण और विशेष्य बताइए
शब्द-निपुण राधिका, अच्छा भाग्य, सम्राट अकबर, नव
उत्तर –
- विशेष्य – राधिका, भाग्य, अकबर, रत्न।
- विशेषण – निपुण, अच्छा, सम्राट, नव।
प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों के साथ ‘उप’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए
(1) स्थित, (2) करण, (3) लब्ध, (4) न्यास, (5) वास।
उत्तर –
- उप + स्थित = उपस्थित
- उप + करण = उपकरण
- उपलब्ध- उपलब्ध
- उप + न्यास- उपन्यास
- उप + वास = उपवास।
प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(1) संगीत, (2) विधाता, (3) दीवाना, (4) प्रभात।
उत्तर –
- संगीत: मेरे पिता जी को शास्त्रीय संगीत बहुत पसंद है और वे रोज सुबह इसका अभ्यास करते हैं।
- विधाता: जीवन की हर घटना विधाता की इच्छा पर निर्भर करती है, हमें बस अपना कर्तव्य करते रहना चाहिए।
- दीवाना: तानसेन के गायन से दर्शक इतने प्रभावित हुए कि वे उनके संगीत के दीवाने हो गए।
- प्रभात: सुबह का प्रभात पक्षियों के मधुर कलरव से भरा हुआ था, जिससे पूरा वातावरण शांत और सुकून भरा लग रहा था।
प्रश्न 6. दिए गए अनुच्छेद में यथास्थान विराम चिन्हों का प्रयोग कीजिए
(क) तो इसमें भय कैसा दीपक राग तो तुम्हें आता है सुना देना चिन्ता की क्या बात है
(ख) दीपक राग तो मुझे आता है गुरुदेव आपने ही मल्हार की छत्रछाया में मुझे इस राग का अभ्यास कराया है अगर मल्हार का प्रबन्ध किए बिना दीपक राग सुनाया तो मैं स्वयं भस्म हो जाऊँगा।
उत्तर –
(क) तो इसमें भय कसा ? दीपक राग तो तुम्हें आता है; सुना देना। चिन्ता की क्या बात है?
(ख) दीपक राग तो मुझे आता है। गुरुदेव ! आपने ही मल्हार की छत्रछाया में मुझे इस राग का अभ्यास कराया है। अगर मल्हार का प्रबन्ध किए बिना दीपक राग सुनाया, तो मैं स्वयं ही भस्म हो जाऊँगा।