Here we have shared UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 6 Solutions for free. This covers all question answers of chapter 6 – “किं ततं जानाति भवान्” with explanations in Hindi.
यह पाठ एक प्राध्यापक और नाविक के बीच संवाद की रोचक कहानी है, जो ज्ञान और व्यावहारिक कौशल के महत्व को दर्शाता है। इसमें प्राध्यापक नाविक से गणित, रसायन और अंग्रेजी के बारे में पूछता है, लेकिन बाढ़ आने पर नाविक का तैरना जानना अधिक उपयोगी साबित होता है। यह पाठ संस्कृत के तुमुन् क्त-प्रत्यय और विधिलिङ् लकार का उपयोग सिखाता है। आप सीखेंगे कि किताबी ज्ञान के साथ-साथ जीवन में व्यावहारिक कौशल भी जरूरी हैं।

UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 6 Solutions
Contents
- 1 UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 6 Solutions
- 1.1 1. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
- 1.2 2. एकपदेन उत्तरत (एक शब्द में उत्तर दें)
- 1.3 3. कः कथयति इति लिखत नाविकः / प्राध्यापकः
- 1.4 4. अधोलिखितधातुभिः तुमुन्-प्रत्ययं योजयित्वा पदरचनां कुरुत
- 1.5 5. अधोलिखितधातुभिः ‘त्वा’ (क्त्वा) प्रत्ययं योजयित्वा पदरचनां कुरुत
- 1.6 6. हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत
- 1.7 7. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत
| Chapter | 6. किं ततं जानाति भवान् |
| Subject | संस्कृत पीयूषम् |
| Class | 8th |
| Board | UP Board |
अभ्यासः
1. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
(उच्चारण करें और पुस्तिका में लिखें)
आरूढः जलावर्तनम् चतुर्थांशः
व्यर्थताम् तीत्र्वा अरित्रमाध्यमेन
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करोतु। (छात्र स्वयं करें।)
2. एकपदेन उत्तरत (एक शब्द में उत्तर दें)
(क) कः विहर्तुं नावम् आरुढः? (कौन नाव में चढ़कर घूमने गया?)
उत्तर: प्राध्यापकः (प्राध्यापक)
(ख) नौकायाः अग्नेसारणं केन माध्यमेन भवति? (नाव को आगे बढ़ाने का साधन क्या है?)
उत्तर: अरित्रेण (चप्पू से)
(ग) कः ग्लानिम् अन्वभवत्? (किसने थकावट अनुभव की?)
उत्तर: नाविकः (नाविक)
(घ) जलेन पूरिता का जाता? (जल से कौन भर जाता है?)
उत्तर: नौका (नाव)
3. कः कथयति इति लिखत नाविकः / प्राध्यापकः
(कौन कहता है, लिखें)
उत्तर:
(क) भवता कदापि गणितं पठितम्? (क्या आपने कभी गणित पढ़ा?) – प्राध्यापकः (प्राध्यापक)
(ख) ईदृशं मे भाग्यं कुतः? (ऐसा मेरा भाग्य कहाँ?) – नाविकः (नाविक)
(ग) त्वया अर्धाशः जीवनस्य व्यर्थता नीतः। (तुमने आधा जीवन व्यर्थ कर दिया।) – प्राध्यापकः (प्राध्यापक)
(घ) अहं तर्तुं न जानामि। (मैं तैरना नहीं जानता।) – प्राध्यापकः (प्राध्यापक)
(ङ) यदि तर्तुं न जानाति, तदा भवतः सर्वं जीवनं वृथा जातम्। (यदि तुम तैरना नहीं जानते, तो तुम्हारा सारा जीवन व्यर्थ है।) – नाविकः (नाविक)
4. अधोलिखितधातुभिः तुमुन्-प्रत्ययं योजयित्वा पदरचनां कुरुत
(निम्नलिखित धातुओं में तुमुन् प्रत्यय जोड़कर शब्द रचना करें)
उत्तर:
- खाद् + तुमुन् = खादितुम् (खाने के लिए)
- चल् + तुमुन् = चलितुम् (चलने के लिए)
- हस् + तुमुन् = हसितुम् (हँसने के लिए)
- क्रीड् + तुमुन् = क्रीडितुम् (खेलने के लिए)
- पठ् + तुमुन् = पठितुम् (पढ़ने के लिए)
5. अधोलिखितधातुभिः ‘त्वा’ (क्त्वा) प्रत्ययं योजयित्वा पदरचनां कुरुत
(निम्नलिखित धातुओं में ‘त्वा’ प्रत्यय जोड़कर शब्द रचना करें)
उत्तर:
- पठ् + त्वा = पठित्वा (पढ़कर)
- नी + त्वा = नीत्वा (ले जाकर)
- गम् + त्वा = गत्वा (जाकर)
- लिख् + त्वा = लिखित्वा (लिखकर)
6. हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत
(हिन्दी में अनुवाद करें)
(क) किं त्वया संस्कृत-भाषा पठिता?
उत्तर: क्या तुमने संस्कृत भाषा पढ़ी?
(ख) जीवनस्य त्रयो भागाः अपार्थाः।
उत्तर: जीवन के तीन भाग व्यर्थ हो गए।
(ग) प्राध्यापकः नावम् आरुढः।
उत्तर: प्राध्यापक नाव में बैठ गया।
(घ) भवान् खलु जलमध्ये विहरतु।
उत्तर: आप जल में अवश्य तैरते रहें।
7. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत
(संस्कृत में अनुवाद करें)
(क) वह पढ़ने के लिए आता है।
उत्तर: सः पठितुं आगच्छति।
(ख) क्या तुम सब तैरना जानते हो?
उत्तर: किं यूयं सर्वं तर्तुं जानीथ?
(ग) क्या तुम प्रतिदिन खेलते हो?
उत्तर: किं त्वं प्रतिदिनं क्रीडसि?
(घ) हम दोनों घूमने के लिए नदी के किनारे जाते हैं।
उत्तर: आवां विहर्तुं नदीतीरे गच्छावः।