Here we have shared UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 18 Solutions for free. This covers all question answers of chapter 18 – “एत बालकाः” with explanations in Hindi.
यह पाठ बालकों को प्रेरित करने वाला एक उत्साहपूर्ण गीत है, जो जीवन में साहस और एकता के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। इसमें बच्चों को अंधकार, भ्रांतियों और कठिनाइयों को दूर करने, पर्वतों को नापने और सागर की ओर बढ़ने का आह्वान किया गया है। यह पाठ पुरुषार्थ, सेवा और कल्याण के महत्व को दर्शाता है। आप सीखेंगे कि कैसे दृढ़ संकल्प और नेक कार्यों से जीवन को सुंदर और अर्थपूर्ण बनाया जा सकता है।

UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 18 Solutions
| Chapter | 18. एत बालकाः |
| Subject | संस्कृत पीयूषम् |
| Class | 8th |
| Board | UP Board |
अभ्यासः
1. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
(उच्चारण करें और पुस्तिका में लिखें)
विदध्म, वाञ्छा, नभस्तारकम्
अन्धकारकम्, पौरुषेण, सेवामहै
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करोतु। (छात्र स्वयं करें।)
2. एकपदेन उत्तरत (एक शब्द में उत्तर दें)
(क) काठिन्यं किं करवाम? (कठिनाई को हम क्या करें?)
उत्तर: दूरे (दूर)
(ख) वयं किं परिमाम? (हम क्या मापें?)
उत्तर: पर्वतान् (पर्वतों को)
(ग) किं दूरे कुर्मः? (क्या दूर करें?)
उत्तर: अन्धकारम् (अंधकार को)
(घ) किं विभराम? (हम क्या वहन करें?)
उत्तर: जीवनक्लेशम् (जीवन के कष्टों को)
3. एकवाक्येन उत्तरत
(एक वाक्य में उत्तर दें)
(क) काठिन्यं दूरं कर्तुं वयं किं करवाम? (कठिनाई को दूर करने के लिए हम क्या करें?)
उत्तर: काठिन्यं दूरं कर्तुं वयं स्वयं प्रयत्नेन चलामः। (कठिनाई को दूर करने के लिए हम स्वयं प्रयास से चलें।)
(ख) वयं किं नैव जहाम? (हम क्या कभी नहीं छोड़ें?)
उत्तर: वयं शक्तिं समुदायं च नैव जहामः। (हम शक्ति और समुदाय को कभी नहीं छोड़ें।)
(ग) तपः कृत्वा किं पूरयेम? (तप करके हम क्या पूरा करें?)
उत्तर: तपः कृत्वा वयं वाञ्छितं कमनीयं पूरयेम। (तप करके हम इच्छित सुंदर कार्य पूरा करें।)
(घ) भ्रान्तिसमूहं दूरं कृत्वा वयं किं दर्शयेम? (भ्रांतियों को दूर करके हम क्या दिखाएँ?)
उत्तर: भ्रान्तिसमूहं दूरं कृत्वा वयं नवमार्गं दर्शयेम। (भ्रांतियों को दूर करके हम नया मार्ग दिखाएँ।)
4. रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाएँ)
(क) जनानां मनांसि जयेम। (लोगों के मन को जीतें।)
उत्तर: जनानां किं जयेम? (लोगों का क्या जीतें?)
(ख) मङ्गलं बहु वितरेम। (कल्याण बहुत बाँटें।)
उत्तर: किं बहु वितरेम? (क्या बहुत बाँटें?)
(ग) वयं नभस्तारकं नयाम। (हम तारों को आकाश में ले जाएँ।)
उत्तर: वयं किं नयाम? (हम क्या ले जाएँ?)
5. मञ्जूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(मञ्जूषा से क्रिया शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरें)
जयन्तु, गच्छतु, नय, करवाम
उत्तर:
(क) अहं काठिन्यं करवाम। (मैं कठिनाई को दूर करूँ।)
(ख) त्वं नभस्तारकं नय। (तू तारों को आकाश में ले जा।)
(ग) सः सागरं प्रति गच्छतु। (वह सागर की ओर जाए।)
(घ) ते जनानां मनांसि जयन्तु। (वे लोगों के मन जीतें।)
6. संस्कृते अनुवादं कुरुत
(संस्कृत में अनुवाद करें)
(क) कठिनता को हम दूर करें।
उत्तर: वयं काठिन्यं दूरे करवाम।
(ख) हम सब अन्धकार को दूर करें।
उत्तर: वयं सर्वं अन्धकारं दूरे कुर्मः।
(ग) सागर की ओर चलें।
उत्तर: सागरं प्रति गच्छामः।
(घ) हम भ्रान्तियों को दूर करें।
उत्तर: वयं भ्रान्तिसमूहं दूरे कुर्मः।
7. धातुः, लकारः, पुरुषः च लिखत
(धातु, लकार और पुरुष लिखें)
उत्तर:
यथा: करवाम = कृ, लोट् लकारः, उत्तमपुरुषः (कृ, लोट् लकार, उत्तम पुरुष)
- नयाम = नी, लोट् लकारः, उत्तमपुरुषः
- गच्छाम = गम्, लोट् लकारः, उत्तमपुरुषः
- पूरयेत् = पूर्ण, विधिलिङ् लकारः, प्रथमपुरुषः