Here we have shared UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 12 Solutions for free. This covers all question answers of chapter 12 – “प्रियं भारतम्” with explanations in Hindi.
यह पाठ हमारे प्रिय भारत देश की सुंदरता और महिमा को दर्शाता है। इसमें भारत की प्राकृतिक सुंदरता, हिमालय, समुद्र, नदियों और इसकी विविधता जैसे विभिन्न राज्यों, वेशभूषा और भाषाओं का वर्णन है। यह बताता है कि भारत धन, धर्म और यश का केंद्र है। आप सीखेंगे कि भारत की एकता और विविधता इसे विशेष बनाती है और इसे हमेशा सम्मान देना चाहिए।

UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 12 Solutions
| Chapter | 12. प्रियं भारतम् |
| Subject | संस्कृत पीयूषम् |
| Class | 8th |
| Board | UP Board |
अभ्यासः
1. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
(उच्चारण करें और पुस्तिका में लिखें)
प्रकृत्या सरित्तारहारैः हिमाद्रिर्ललाटे
शुभ्रम् रक्षणीयम् चार्पयामः
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करोतु। (छात्र स्वयं करें।)
2. एकपदेन उत्तरत
(एक शब्द में उत्तर दें)
(क) भरतस्य ललाटे किम् अस्ति? (भारत के मस्तक पर क्या है?)
उत्तर: हिमाद्रिः (हिमालय)
(ख) कस्य शुभ्रं यशः विदेशेषु गीतम् अस्ति? (किसका शुद्ध यश विदेशों में गाया जाता है?)
उत्तर: भारतस्य (भारत का)
(ग) भारते कियन्तः वेषाः सन्ति? (भारत में कितने परिधान हैं?)
उत्तर: अनेके (अनेक)
(घ) वयं भारतीयाः कं नमामः? (हम भारतीय किसे प्रणाम करते हैं?)
उत्तर: स्वदेशम् (अपने देश को)
3. पूर्णवाक्येन उत्तरत
(पूर्ण वाक्य में उत्तर दें)
(क) भारते कियन्तः प्रदेशाः कियन्त्यः च भाषाः सन्ति? (भारत में कितने प्रदेश और कितनी भाषाएँ हैं?)
उत्तर: भारते अनेके प्रदेशाः अनेकाः च भाषाः सन्ति। (भारत में बहुत से प्रदेश और बहुत सी भाषाएँ हैं।)
(ख) इदं भारतं कस्य निधानं केन च तुल्यम्? (यह भारत किसका खजाना है और किसके समान है?)
उत्तर: इदं भारतं धनानां निधानं देवलोकेन च तुल्यम् अस्ति। (यह भारत धनों का खजाना है और देवलोक के समान है।)
(ग) वयं भारतीयाः किं किम् अर्पयामः? (हम भारतीय क्या-क्या अर्पित करते हैं?)
उत्तर: वयं भारतीयाः धनं जीवनं च अर्पयामः। (हम भारतीय धन और जीवन अर्पित करते हैं।)
(घ) वयं सदा कं धर्मं मानयामः? (हम सदा किस धर्म का सम्मान करते हैं?)
उत्तर: वयं सदा परं धर्मं मानयामः। (हम सदा उच्च धर्म का सम्मान करते हैं।)
4. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत
(संस्कृत में अनुवाद करें)
(क) प्रिय भारत सर्वथा दर्शनीय है।
उत्तर: प्रियं भारतं सर्वथा दर्शनीयम् अस्ति।
(ख) भारत देवलोक के समान है।
उत्तर: भारतं देवलोकेन संनादति।
(ग) इसमें बहुत से प्रदेश हैं।
उत्तर: अस्मिन् अनेके प्रदेशाः छन्।
(घ) हम भारतीय अपने देश को प्रणाम करते हैं।
उत्तर: वयं भारतीयाः स्वदेशं नमामः।
5. मञ्जूषातः पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत
(मञ्जूषा से शब्द चुनकर वाक्य पूरे करें)
उत्तर:
(क) प्रियं भारतं सर्वथा दर्शनीयम्। (प्रिय भारत सर्वथा दर्शनीय है।)
(ख) इदं भारतं देवलोकेन तुल्यम्। (यह भारत देवलोक के समान है।)
(ग) अनेकानि रूपाणि, भाषाः अनेकाः। (अनेक रूप, अनेक भाषाएँ।)
(घ) वयं भारतीयाः स्वदेशं नमामः। (हम भारतीय अपने देश को प्रणाम करते हैं।)
(ङ) तदर्थं धनं जीवनं च अर्पयामः। (उसके लिए धन और जीवन अर्पित करते हैं।)
6. विशेष्यैः सह यथायोग्यं विशेषणानि योजयत
(विशेष्य के साथ उचित विशेषण जोड़ें)
उत्तर:
- भारतम् – प्रियम् (भारत – प्रिय)
- यशः – शुभ्रम् (यश – शुद्ध)
- भाषाः – अनेकाः (भाषाएँ – अनेक)
- प्रदेशाः – अनेके (प्रदेश – अनेक)
7. अनीयर् (अनीय) प्रत्ययं योजयित्वा पदानि लिखत
(अनीय प्रत्यय जोड़कर शब्द लिखें)
उत्तर:
यथा: दृश् + अनीयर् = दर्शनीयम् (देखने योग्य)
- पूज् + अनीयर् = पूजनीयम् (पूजा करने योग्य)
- पठ् + अनीयर् = पठनीयम् (पढ़ने योग्य)
- वन्द् + अनीयर् = वन्दनीयम् (वंदना करने योग्य)
- कथ् + अनीयर् = कथनीयम् (कहने योग्य)