Here we have shared UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 11 Solutions for free. This covers all question answers of chapter 11 – “रामभरतयोः मेलनम्” with explanations in Hindi.
यह पाठ राम और भरत के भावनात्मक मिलन की कहानी है, जो वनवास के दौरान एक आश्रम में होता है। इसमें भरत अपने भाई राम से मिलने आते हैं और उनके प्रति अपनी भक्ति और स्नेह को दर्शाते हैं। यह पाठ राम के स्वागत, भरत की विनम्रता और खड़ाऊँ मांगने की घटना को दर्शाता है। आप सीखेंगे कि भाईचारा, कर्तव्य और त्याग किस तरह रिश्तों को मजबूत करते हैं।

UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 11 Solutions
Contents
- 1 UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 11 Solutions
- 1.1 प्रश्न १. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
- 1.2 प्रश्न २. एकपदेन उत्तरत
- 1.3 प्रश्न ३. पूर्णवाक्येन उत्तरत
- 1.4 प्रश्न ४. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत
- 1.5 प्रश्न ५. अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
- 1.6 प्रश्न ६. अधोलिखितपदेषु सन्धिं कृत्वा लिखत
- 1.7 प्रश्न ७. अधोलिखितानि पदानि प्रयुज्य वाक्यरचनां कुरुत
| Chapter | 11. रामभरतयोः मेलनम् |
| Subject | संस्कृत पीयूषम् |
| Class | 8th |
| Board | UP Board |
अभ्यासः
प्रश्न १. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
(उच्चारण करें और पुस्तिका में लिखें)
युद्धम् भीष्मः दिनद्वयपर्यन्तम्
भीमदुर्योधनयोः ऐतिहासिकस्य संशप्तकनामकाः
उद्विग्नोऽभवत् स्वपितृष्वसुः प्रविश्य
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करोतु। (छात्र स्वयं करें।)
प्रश्न २. एकपदेन उत्तरत
(एक शब्द में उत्तर दें)
(क) रामः सीता लक्ष्मणश्च कुतः स्थिताः आसन्? (राम, सीता और लक्ष्मण कहाँ रहते थे?)
उत्तर: आश्रमे (आश्रम में)
(ख) पितुः नियोगात् कः वनम् आगतः? (पिता की आज्ञा से कौन वन में आया?)
उत्तर: भरतः (भरत)
(ग) अन्यमपि वरं कः इष्टवान्? (दूसरा वर भी किसने चाहा?)
उत्तर: भरतः (भरत)
(घ) पादोपभुक्तौ चरणपादुकौ कः अयाचत्? (पादुका पहनने के बाद चरण पादुका किसने माँगी?)
उत्तर: भरतः (भरत)
प्रश्न ३. पूर्णवाक्येन उत्तरत
(पूर्ण वाक्य में उत्तर दें)
(क) भोः तात! निवेद्यतां निवेद्यतां कः उक्तवान्? (भोः तात! निवेदन करें, निवेदन करें, यह किसने कहा?)
उत्तर: भोः तात! निवेद्यतां निवेद्यतां इति भरतः उक्तवान्। (भोः तात! निवेदन करें, निवेदन करें, यह भरत ने कहा।)
(ख) भरतः कस्याः पुत्रः आसीत्? (भरत किसका पुत्र था?)
उत्तर: भरतः कैकेय्याः पुत्रः आसीत्। (भरत कैकeyi का पुत्र था।)
(ग) लक्ष्मणेन भरतस्य स्वागताय किम् अकथयत्? (लक्ष्मण ने भरत के स्वागत में क्या कहा?)
उत्तर: लक्ष्मणेन भरतस्य स्वागताय अकथयत्, “एहि एहि इक्ष्वाकुकुमार! स्वागतम्।” (लक्ष्मण ने भरत के स्वागत में कहा, “आइए, आइए इक्ष्वाकु कुमार! स्वागत है।”)
(घ) सीतायाः भरतं प्रति कः आशीषः आसीत्? (सीता का भरत के प्रति क्या आशीर्वाद था?)
उत्तर: सीतायाः भरतं प्रति आशीषः “चिरं जीव” इति आसीत्। (सीता का भरत के प्रति आशीर्वाद था “लंबी आयु हो।”)
प्रश्न ४. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत
(संस्कृत में अनुवाद करें)
(क) दूसरा वर भी प्राप्त करना चाहता हूँ।
उत्तर: अन्यं वरमपि प्राप्नोमि इच्छामि।
(ख) राम, सीता व लक्ष्मण इस आश्रम में रहते हैं।
उत्तर: रामः सीता लक्ष्मणश्च अस्मिन् आश्रमे निवसन्ति।
(ग) भरत आ गए।
उत्तर: भरतः आगतः।
(घ) मैं अनुगृहीत हुआ।
उत्तर: अहं अनुगृहीतः अस्मि।
प्रश्न ५. अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के आधार पर प्रश्न बनाएँ)
(क) आश्रमे एव रामः सीता लक्ष्मणश्च स्थिताः। (आश्रम में ही राम, सीता और लक्ष्मण रहते हैं।)
उत्तर: रामः सीता लक्ष्मणश्च कुत्र स्थिताः? (राम, सीता और लक्ष्मण कहाँ रहते हैं?)
(ख) एहि वत्स भ्रातृमनोरथं पूरय। (आइए वत्स, भाई की इच्छा पूरी करें।)
उत्तर: एहि वत्स किं पूरय? (आइए वत्स, क्या पूरी करें?)
(ग) अन्यमपि वरम् इच्छामि। (दूसरा वर भी मैं चाहता हूँ।)
उत्तर: किं वरम् इच्छामि? (कौन सा वर मैं चाहता हूँ?)
(घ) तव पादुके प्रणताय मे प्रयच्छ। (तेरी पादुकाएँ मुझे प्रणाम करने पर दे।)
उत्तर: तव किं प्रणताय मे प्रयच्छ? (तेरा क्या मुझे प्रणाम करने पर दे?)
प्रश्न ६. अधोलिखितपदेषु सन्धिं कृत्वा लिखत
(निम्नलिखित शब्दों में सन्धि करके लिखें)
उत्तर:
- अयम् + अस्मि = अयमस्मि (मैं हूँ)
- सु + आगतम् = स्वागतम् (स्वागत)
- अथ + इदानीम् = अथेदानीम् (अब)
- अभिषेक + उदकम् = अभिषेकोदकम् (अभिषेक का जल)
प्रश्न ७. अधोलिखितानि पदानि प्रयुज्य वाक्यरचनां कुरुत
(निम्नलिखित शब्दों का प्रयोग कर वाक्य रचना करें)
उत्तर:
(क) अनुगृहीतः: अहं तव कृपया अनुगृहीतः अस्मि। (मैं तुम्हारी कृपा से अनुगृहीत हूँ।)
(ख) स्वागतम्: एहि भरत, स्वागतम्। (आइए भरत, स्वागत है।)
(ग) वरम्: अहं रामात् वरं याचामि। (मैं राम से वर माँगता हूँ।)
(घ) अन्यमपि: अन्यमपि वरं प्राप्नोमि इच्छामि। (दूसरा वर भी प्राप्त करना चाहता हूँ।)