Bihar Board class 7 History chapter 4 – “मुगल साम्राज्य” solutions are given here. These are the precise answers of the questions asked in chapter. Answers are written in hindi medium and gives better understanding of the chapter.
दिल्ली सल्तनत के कमजोर पड़ने का फायदा उठाकर बाबर ने अपनी सैन्य शक्ति का इस्तेमाल कर यहां मुगल साम्राज्य की नींव रखी। पानीपत की लड़ाई में इब्राहिम लोदी की पराजय के बाद बाबर को दिल्ली पर अधिकार प्राप्त हुआ। वह पहले काबुल और कंधार का शासक था। बाद में उसने चित्तौड़, चंदेरी और पूर्वी भारत के अफगानों को भी हराया। इसके बाद शेरशाह से युद्ध होने पर बाबर का उत्तराधिकारी हुमायूं भारत से भाग गया। लेकिन 1555 में वह फिर दिल्ली लौट आया। उसके बाद उसका पुत्र अकबर युवा अवस्था में ही मुगल साम्राज्य का शासक बन गया। अकबर ने अपने शासनकाल में प्रशासनिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किए।
Bihar Board Class 7 History Chapter 4 Solutions
Subject | History (अतीत से वर्तमान भाग 2) |
Class | 7th |
Chapter | 4. मुगल साम्राज्य |
Board | Bihar Board |
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. इकाई 3 की तालिका-1 पर नजर डालिये एवं मानचित्र 4 को देखकर लोदियों के राज्य क्षेत्र को चिह्नित कीजिए।
उत्तर- लोदियों के राज्य क्षेत्र थे :-
- बनारस
- बिहार
- अवध
- बदायू
- कोल
- दिल्ली
- कहराम
- सरहिंद
- सरसुती
- हाँसी
- लाहौर
- नंदाना
- कच्छ
- मुल्तान
- राजकोट आदि ।
प्रश्न 2. अफगान और मुगल संघर्ष के क्या कारण थे ?
उत्तर- अफगान और मुगल संघर्ष के कारण थे अपने-अपने राज्य क्षेत्र का विस्तार और शेर खाँ द्वारा दिल्ली पर अधिकार ।
प्रश्न 3. क्या आप सल्तनतकालीन अमीर एवं मुगलकालीन अमीर _वर्ग में कोई अंतर देखते हैं ?
उत्तर- सल्तनतकाल और मुगलकाल में अमीर वर्ग में कुछ अंतर थे। सल्तनतकाल में अमीर पद प्राय: गुलामों और विदेशियों को दिया जाता था, जिनकी योग्यता पर प्रश्न चिह्न लगाया गया था। मुगलकाल में अमीर पद आमतौर पर योग्य और विश्वसनीय व्यक्तियों को दिया जाता था। मुगल बादशाह अकबर ने भारतीयों और हिंदुओं को भी अमीर बनाया था।
सल्तनतकाल में अमीरों की संख्या कम थी, जबकि मुगलकाल में बहुत से अमीर थे। मुगलकालीन अमीर बादशाह के समकक्ष मानवीय सम्मान की मांग करते थे और उन्हें बड़ी जागीरें दी जाती थीं। दोनों कालों में अमीर शासन-प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
प्रश्न 4. अभी के अधिकारी और मुगलकालीन मनसबदारों में क्या कोई समानता है ?
उत्तर- मुगलकालीन मनसबदार और आधुनिक अधिकारी कुछ हद तक समान हैं। दोनों ही प्रशासनिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। मनसबदारों को सैन्य और प्रशासनिक रैंक दिया जाता था, जबकि आज के अधिकारियों को केवल प्रशासनिक रैंक दी जाती है। दोनों ही सरकारी कर्मचारी हैं और देश की प्रगति में योगदान देते हैं। हालांकि, उनके अधिकार और जिम्मेदारियों में अंतर हो सकता है।
अभ्यास के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. सही जोड़ बनाएँ :-
उत्तर-
मनसब | पद |
बैरम खाँ | अकबर |
सूबेदार | गवर्नर |
जहाँगीर | न्याय की जंजीर |
महाराणा प्रताप | चित्तौड |
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों को भरें :-
- पानीपत की प्रथम लडाई बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 1526 ई० में हई।
- यदि जात एक मनसबदार के पद और वेतन का द्योतक था, तो सवार उसके सैन्य बल को दिखाता था ।
- शेरशाह ने सरायों की बड़ी संख्या में निर्माण करवाया।
- अकबर का दरबारी इतिहासकार अबुल फजल था जिसने अकबरनामा नामक पुस्तक लिखी।
- अकबर मुगल साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था।
आइए विचार करें
प्रश्न 1. मनसबदार और जागीरदार में क्या संबंध था ?
उत्तर- मुगलकाल में मनसबदार और जागीरदार एक ही सिक्के के दो पहलू थे। मनसबदार सैन्य और प्रशासनिक रैंक प्राप्त अधिकारी थे। उन्हें जागीर यानी भूमि का टुकड़ा आवंटित किया जाता था। वे जागीर से प्राप्त राजस्व से अपने सैनिकों को वेतन और अपने खर्च का भुगतान करते थे। जागीरदार जमीन का प्रबंधन करते और उससे राजस्व एकत्र करते थे।
प्रश्न 2. पानीपत के मैदान में होने वाली प्रथम लड़ाई का भारतीय इतिहास में क्या महत्व है ?
उत्तर- पानीपत की प्रथम लड़ाई ने भारत में लोदी शासन को समाप्त कर दिया और मुगल वंश की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। इस लड़ाई में बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली पर अधिकार कर लिया। यह भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
प्रश्न 3. मुगल शासन की विशेषताओं को बताइए । उनमें मनसबदारों की क्या भूमिका थी?
उत्तर- मुगल शासन काल में जनता का जीवन आम तौर पर सुखी और समृद्ध था। भोजन की प्रचुर उपलब्धता थी जैसे रोटी-दाल, भात-मछली आदि। दूध, दही और घी भी मिलते थे लेकिन कपड़ों की कमी रहती थी। मनसबदार प्रशासनिक और सैन्य दोनों कार्य देखते थे। वे बादशाह के आदेशों और कानूनों को लागू करवाते और उसे सैनिक मदद भी करते थे। उन्हें अपने सैनिकों को वेतन देने के लिए जागीरें दी जाती थीं।
प्रश्न 4. मुगल साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे?
उत्तर- मुगल साम्राज्य के पतन के कई कारण थे जैसे – औरंगजेब की अविवेकपूर्ण नीतियां, जिजिया कर लगाना, दक्षिण विजय के लिए उत्तर का उपेक्षित होना, उत्तराधिकार संघर्ष, प्रशासन की कमजोरियां आदि। औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुगल दरबार में षड़यंत्र बढ़े और धीरे-धीरे साम्राज्य पतन की ओर बढ़ा।
प्रश्न 5. भू-राजस्व से प्राप्त होनेवाली आय, मुगल साम्राज्य के स्थायित्व के लिए कहाँ तक जरूरी थी ?
उत्तर- मुगल साम्राज्य के लिए भू-राजस्व से प्राप्त आय बेहद महत्वपूर्ण थी। इसके अलावा शहरी शिल्पकारों से कुछ कर मिलता था लेकिन बहुत कम। व्यापार और वाणिज्य से भी कम ही राजस्व प्राप्त होता था। अतः मुगल शासन का स्थायित्व लगभग पूरी तरह भू-राजस्व पर निर्भर था।
प्रश्न 6. मुगल अपने आपको तैमूर का वंशज क्यों कहते थे ?
उत्तर- मुगल बादशाह अपने को तैमूर का वंशज इसलिए कहते थे क्योंकि माता की ओर से वे मंगोलों से संबंधित थे जबकि पिता की ओर से तैमूर का वंश था। मंगोलों की नृशंसता के कारण वे खुद को मंगोल कहलाना नहीं चाहते थे। दूसरी ओर, तैमूर के नाम को बड़ी वीरता और दिल्ली विजय से जोड़कर देखा जाता था। इसलिए मुगलों ने मंगोल की जगह तैमूर का वंशज होने पर बल दिया।