Here we have shared UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 15 Solutions for free. This covers all question answers of chapter 15 – “गीतावचनामृतानि” with explanations in Hindi.
यह पाठ भगवद्गीता के अमृतमय उपदेशों का संग्रह है, जो श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए हैं। इसमें धर्म की रक्षा, कर्म का महत्व, आत्मा की अमरता और सुख-दुख को समान मानने जैसे गहरे संदेश शामिल हैं। यह पाठ जीवन के नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों को समझाता है। आप सीखेंगे कि निस्वार्थ कर्म और संतुलित मन से जीवन कैसे जिया जाए।

UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 15 Solutions
| Chapter | 15. गीतावचनामृतानि |
| Subject | संस्कृत पीयूषम् |
| Class | 8th |
| Board | UP Board |
अभ्यासः
1. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत
(उच्चारण करें और पुस्तिका में लिखें)
पुरुषः वेत्तासि विश्वमनन्तरूप सङ्गोऽस्त्वकर्मणि
अभ्युत्थानमधर्मस्य सृजाम्यहम् धर्मसंस्थापनार्थाय कर्मफलहेतुर्भूः
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करोतु। (छात्र स्वयं करें।)
2. एकपदेन उत्तरत
(एक शब्द में उत्तर दें)
(क) पुराणः पुरुषः कः? (पुराना पुरुष कौन है?)
उत्तर: श्रीकृष्णः (श्रीकृष्ण)
(ख) अस्माकं कुत्र अधिकारः अस्ति? (हमारा अधिकार कहाँ है?)
उत्तर: कर्मणि (कर्म में)
(ग) केषां परित्राणाय ईश्वरः अस्ति? (किनके उद्धार के लिए ईश्वर है?)
उत्तर: साधूनाम् (साधुओं के)
(घ) शस्त्राणि कं न छिन्दन्ति? (शस्त्र किसे नहीं काट सकते?)
उत्तर: आत्मानम् (आत्मा को)
3. एकवाक्येन उत्तरत
(एक वाक्य में उत्तर दें)
(क) परमात्मा आत्मानं कदा सृजति? (परमात्मा आत्मा को कब पैदा करता है?)
उत्तर: परमात्मा यदा यदा अधर्मस्य ग्लानिः भवति तदा आत्मानं सृजति। (परमात्मा जब-जब अधर्म की हानि होती है तब आत्मा को पैदा करता है।)
(ख) वं आपः न क्लेदयन्ति? (किसे जल गीला नहीं करता?)
उत्तर: आपः आत्मानं न क्लेदयन्ति। (जल आत्मा को गीला नहीं करता।)
(ग) जीर्णानि शरीराणि विहाय कः संनादति? (पुराने शरीर को छोड़कर कौन जाता है?)
उत्तर: जीर्णानि शरीराणि विहाय आत्मा संनादति। (पुराने शरीर को छोड़कर आत्मा जाता है।)
(घ) पावकः कं न दहति? (अग्नि किसे नहीं जलाती?)
उत्तर: पावकः आत्मानं न दहति। (अग्नि आत्मा को नहीं जलाती।)
4. निम्नलिखित-पदेषु सन्धिं कृत्वा तस्य नाम लिखत
(निम्नलिखित शब्दों में सन्धि करके उसका नाम लिखें)
उत्तर:
यथा: बालकः + अवदत् = बालकोऽवदत् – पूर्वरूपसन्धिः
- नरः + अपराणि = नरोऽपराणि – पूर्वरूपसन्धिः
- वेत्ता + असि = वेत्तासि – दीर्घसन्धिः
- कर्मणि + एव = कर्मण्येव – यणसन्धिः
- ग्लानिः + भवति = ग्लानिर्भवति – विसर्गसन्धिः
- सृजामि + अहम् = सृजाम्यहम् – यणसन्धिः
5. अधोलिखित-पदेषु शब्दं विभक्तिं वचनं च लिखत
(निम्नलिखित शब्दों का शब्द, विभक्ति और वचन लिखें)
उत्तर:
यथा: त्वम् – युष्मद्, प्रथमा, एकवचनम्
- साधूनाम् – साधु, षष्ठी, बहुवचनम्
- धर्मस्य – धर्म, षष्ठी, एकवचनम्
- फलेषु – फल, सप्तमी, बहुवचनम्
- आत्मानम् – आत्मन्, द्वितीया, एकवचनम्
- शरीराणि – शरीर, प्रथमा/द्वितीया, बहुवचनम्
6. अधोलिखित-विशेष्यैः सह विशेषणानि योजयत
(निम्नलिखित विशेष्य के साथ विशेषण जोड़ें)
उत्तर:
- पुरुषः – पुराणः (पुरुष – पुराना)
- शरीराणि – जीर्णानि (शरीर – पुराने)
- निधानम् – परम् (निधान – श्रेष्ठ)
7. संस्कृतभाषायाम् अनुवादं कुरुत
(संस्कृत में अनुवाद करें)
(क) जल इसको गीला नहीं करता है।
उत्तर: आपः एनं न क्लेदयन्ति। (जल इसको गीला नहीं करता है।)
(ख) धर्म की स्थापना के लिए मैं जन्म लेता हूँ।
उत्तर: धर्मस्य संस्थापनाय अहं जायामि। (धर्म की स्थापना के लिए मैं जन्म लेता हूँ।)
(ग) सुख-दुःख को समान मानकर युद्ध के लिए तैयार हो।
उत्तर: सुखदुःखे समं कृत्वा युद्धाय संनाद। (सुख-दुःख को समान मानकर युद्ध के लिए तैयार हो।)