UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 7 Solutions – सुभाषितानि (Question Answer)

Here we have shared UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 7 Solutions for free. This covers all question answers of chapter 7 – “सुभाषितानि” with explanations in Hindi.

यह पाठ संस्कृत के सुंदर और प्रेरक सुभाषितों का संग्रह है, जो जीवन के गहरे नैतिक और सामाजिक मूल्यों को सिखाता है। इसमें उदारता, सुख-दुख, समय का उपयोग, विद्या का महत्व और छोटे-बड़े की उपयोगिता जैसे विषयों पर श्लोक हैं। ये सुभाषित सरल भाषा में जीवन जीने की कला बताते हैं। आप सीखेंगे कि कैसे उदार मन, विद्या और अच्छा आचरण जीवन को बेहतर बनाते हैं।

UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 7 Solutions

UP Board Class 8 Sanskrit Chapter 7 Solutions

Chapter7. सुभाषितानि
Subjectसंस्कृत पीयूषम्
Class8th
BoardUP Board

अभ्यासः

1. उच्चारणं कुरुत पुस्तिकायां च लिखत

(उच्चारण करें और पुस्तिका में लिखें)

दुःखम्, मूर्खाणाम्, सुखदुःखयोः,
वृष्टिः, काव्यशास्त्रविनोदेन, पञ्चभिर्युक्तः,

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करोतु। (छात्र स्वयं करें।)

2. एकपदेन उत्तरत

(एक शब्द में उत्तर दें)

(क) उदारचरितानां कृते सम्पूर्णा वसुधा किम् अस्ति? (उदार चरित्र वालों के लिए सम्पूर्ण पृथ्वी क्या है?)

उत्तर: कुटुम्बकम् (परिवार)

(ख) अयं निजः परो वेति कः गणयति? (यह अपना या पराया है, ऐसा कौन गिनता है?)

उत्तर: लघुचेतसः (छोटे मन वाले)

(ग) समुद्रेषु वृष्टिः कीदृशी भवति? (समुद्र में वर्षा कैसी होती है?)

उत्तर: वृथा (व्यर्थ)

(घ) विद्वान् कुत्र पूज्यते? (विद्वान् कहाँ पूजा जाता है?)

उत्तर: लोके (संसार में)

3. प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत

(प्रश्नों के उत्तर लिखें)

(क) सुखदुःखयोः किं लक्षणम् अस्ति? (सुख और दुख का लक्षण क्या है?)

उत्तर: सर्वं आत्मवशं सुखं, सर्वं परवशं दुःखम्। (जो अपने वश में है वह सुख है, जो पराधीन है वह दुख है।)

(ख) पञ्चवकाराः के सन्ति? (पाँच वकार कौन से हैं?)

उत्तर: वेशः, वपुः, वाचा, विद्या, विनयः च पञ्च वकाराः। (वस्त्र, शरीर, वाणी, विद्या और विनय ये पाँच वकार हैं।)

(ग) धीमतां कालः कथं गच्छति? (बुद्धिमानों का समय कैसे बीतता है?)

उत्तर: धीमतां कालः काव्यशास्त्रविनोदेन गच्छति। (बुद्धिमानों का समय काव्य और शास्त्र के आनंद में बीतता है।)

(घ) दीपः वृथा कदा भवति? (दीपक कब व्यर्थ होता है?)

उत्तर: दीपः दिवसे वृथा भवति। (दीपक दिन में व्यर्थ होता है।)

4. लघुचक्रे मध्ये चत्वारि क्रियापदानि सन्ति। तानि द्विधा दीर्घचक्रस्थवाक्यांशैः प्रयुज्य सार्थकवाक्यानि रचयत

(लघुचक्र में चार क्रिया-पद हैं। उन्हें दीर्घचक्र के वाक्यांशों के साथ जोड़कर सार्थक वाक्य बनाएँ)

उत्तर:

  • सर्वं परवशं दुःखं भवति। (जो पराधीन है वह दुख होता है।)
  • विद्यावान् लोके पूज्यते। (विद्या वाला संसार में पूजा जाता है।)
  • मूर्खाणां कालः व्यसनेन निद्रया कलहेन वा गच्छति। (मूर्खों का समय व्यसन, नींद या झगड़े में बीतता है।)
  • समुद्रेषु वृष्टिः वृथा भवति। (समुद्र में वर्षा व्यर्थ होती है।)

5. मञ्जूषातः पदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत

(मञ्जूषा से शब्द चुनकर वाक्य पूरे करें)

वृथा तु गच्छति विद्यया सद्बुद्धे ।

उत्तर:

(क) वृथा वृष्टिः समुद्रेषु ।
(ख) महान्तं प्राप्य सद्बुद्धे ।
(ग) मूर्खाणां समयः व्यसनेन निद्रया कलहेन गच्छति ।
(घ) वेशेन वपुषा वाचा विद्यया विनयेन च ।

6. विलोमपदानि योजयत

(विलोम शब्द जोड़ें)

उत्तर:

  • निजः – परः (अपना – पराया)
  • सबलः – निर्बलः (बलवान – कमजोर)
  • उदारः – अनुदारः (उदार – कंजूस)
  • सुखम् – दुःखम् (सुख – दुख)

7. हिन्दीभाषायाम् अनुवादं कुरुत

(हिन्दी में अनुवाद करें)

(क) सर्वं परवशं दुःखम् सर्वमात्मवशं सुखम्।

उत्तर: किसी के वश में रहना दुख और स्वतंत्र रहना ही सुख है।

(ख) वृथा तृप्तस्य भोजनम्।

उत्तर: तृप्त व्यक्ति को खिलाना व्यर्थ है।

(ग) महान्तं प्राप्य सद्बुद्धिः।

उत्तर: महानता प्राप्त करने पर सद्बुद्धि होती है।

(घ) विद्यावान् पूज्यते लोके नाविद्यः परिपूज्यते।

उत्तर: विद्यावान की पूजा संसार में होती है, मूर्ख की नहीं।

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